बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) खुलासा मानकों के संभावित उल्लंघन को लेकर लक्ष्मी विलास बैक (एलवीबी) की जांच कर रहा है। इन खुलासा मानकों में भेदिया कारोबार नियम भी शामिल हैं।
सूत्रों के अनुसार, बाजार नियामक उस स्टॉक एक्सचेंज द्वारा सौंपी गई निगरानी रिपोर्ट की जांच कर रहा है। इस मामले की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने कहा, ‘रिपोर्ट में वर्ष 2018 और 2019 के बीच की अवधि में ऋणदाता के शेयर में लेनदेन का जिक्र किया गया है और तब ऋणदाता अधिग्रहण प्रतिभागी था और कुछ कंपनियों के साथ बातचीत में था।’
एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘नियामक ने कई और जानकारियां मांगी हैं और वह इस पर विचार करेगा कि क्या निजी ऋणदाता ने प्रतिभूतियों के कारोबार से संबंधित नियमों (जिनमें खुलासा उल्लंघन शामिल) का उल्लंघन किया है।’
निजी ऋणदाता का पिछले साल इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनैंस (आईबीएचएफ) के साथ विलय हुआ था, जिसे बाद में आरबीआई ने रद्द कर दिया था। तब आरबीआई ने एलवीबी को पीसीए में डाल दिया था। पिछले साल आरबीआई द्वारा आईबीएचएफ के साथ विलय रोकने के बाद 6 महीने में इसमें 71 प्रतिशत की गिरावट आई थी।
आरबीआई का प्रस्ताव अमल में आने से पहले, एलवीबी की शेयरधारिता में प्रवर्तक इकाइयों की हिस्सेदारी 6.8 प्रतिशत, विदेशी संस्थागत निवेशकों की 8.65 प्रतिशत थी, जबकि शेष शेयरधारिता वित्तीय संस्थानों और सार्वजनिक शेयरधारकों की थी।
एलवीबी को वर्ष 2016 से फंसे कर्ज, आय और ऋण रेटिंग में गिरावट के संदर्भ में कई तरह की गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ा था, लेकिन बाजार नियामक का पहली बार इस पर ध्यान 2018 में गया था, जब उसने राइट इश्यू आवेदन के वक्त एक्सचेंज के समक्ष रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड (आरएफएल) के साथ अपने टकराव का खुलासा नहीं किया था।
बैक ने तब दावा किया था कि जुलाई 2017 में, उसने आरएफएल द्वारा आरएचसी होल्डिंग्स और रेनकेम द्वारा ऋणों पर चूक के लिए 791 करोड़ रुपये की जमाओं को समायोजित किया था। इस समायोजन को रेलिगेयर फिनवेस्ट द्वारा अदालत में चुनौती दी गई थी।
समान मामले में, दो पूर्व एलवीबी कर्मचारियों को दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया था। उनकी गिरफ्तारी सितंबर में फिक्स्ड डिपॉजिट के साथ हेराफेरी करने के आरोप में की गई थी। इसके बाद एलवीबी के निदेशकों के खिलाफ एक साल पहले आर्थिक अपराध शाखा द्वारा एफआईआर दर्ज कराई गई थी।
येस बैंक, आईएलऐंडएफएस, डीएचएफएल से संकेतों के आधार पर केंद्रीय बैंक ने नवंबर में एलवीबी और सिंगापुर डीबीएस कीसहायक इकाई डीबीएस बैंक के साथ प्रस्तावित विलय पर 30 दिन का मोरेटोरियम लगा दिया।
