बाजार नियामक सेबी की सख्ती के बाद आरंभिक सार्वजनिक पेशकशों (आईपीओ) के लिए कीमत दायरा बढ़ गया है और औसत अंतर अब 3.5 प्रतिशत हो गया है। सेबी ने इस संबंध में जारी चर्चा पत्र में यह जानकारी दी है।
आईपीओ लाने को तैयार कंपनियों के लिए न्यूनतम और अधिकतम कीमत के बीच औसत अंतर सेबी के इस निर्देश से पहले 2.3 प्रतिशत था।
अक्टूबर में सेबी ने चर्चा पत्र जारी किया था जिसमें कहा गया था कि कंपनियां अपने आईपीओ के लिए बेहद सीमित कीमत दायरा तय कर रही थीं। हालांकि यह माना जा रहा है कि नियामक द्वारा इन नियमों को अंतिम रूप दिए जाने से पहले ही बाजार को संकेत मिल गया था।
कोटक इन्वेस्टमेंट बैंकिंग में इक्विटी कैपिटल मार्केट्स के प्रमुख एवं वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक वी जयशंकर ने कहा, ‘बैंकर अक्सर निर्गम की कीमत को कीमत दायरे के ऊपरी दायरे पर पसंद करते हैं। सामान्य तौर पर अच्छी रणनीति होगी स्वीकार्य कीमत को समझना।’
मौजूदा नियमों के तहत, आईपीओ तो तो बुक बिल्डिंग या फिक्स्ड प्राइस प्रणाली के जरिये पेश किया जा सकता है। बुक-बिल्डिंग प्रक्रिया में, आईपीओ लाने वाली कंपनी कीमत दायरा पेश करती है और आखिरी निर्गम कीमत मांग के हिसाब से तय होती है। ऊपरी व निचली सीमा के बीच अधिकतम 20 प्रतिशत का अंतर निर्धारित है। हालांकि न्यूनतम अंतर निर्धारित नहीं है, लेकिन कई मामलों में कुछ आईपीओ में, उनके ऊपरी व निचली सीमा के बीच महज 1-2 रुपये का अंतर होता था।
सेबी ने 4 अक्टूबर को जारी चर्चा पत्र में कहा था, ‘बाद में यह निष्कर्ष सामने आया कि निर्गम लाने वाली कंपनी द्वारा तय कीमत दायरा मुख्य तौर पर काफी सीमित है और कभी कभी यह 1, 2 या 3 रुपये जैसा काफी कम होता है। वर्ष 2020 के निर्गमों के विश्लेषणों से पता चलता है कि औसत कीमत बैंड रेंज काफी घटी है। बुक-बिल्डिंग में फेयर और ट्रांसपेरेंट प्राइस डिस्कवरी मैकेनिज्म का लक्ष्य बदलते समय के साथ कमजोर होता गया है।’
इसमें कीमत दायरे की ऊपरी व निचली सीमा के बीच न्यूनतम 5 प्रतिशत अंतर बनाए रखने के बारे में बाजार की प्रतिक्रिया मांगी गई थी। निवेश बैंकरों ने कहा कि कीमत दायरा इसलिए सीमित हो गया क्योंकि कीमत निर्धारण संस्थागत निवेशकों के लिए रोडशो के दौरान हुआ। वहीं प्रकाशित कीमत दायरा महज कानूनी औपचारिकता थी, क्योंकि बुक-बिल्डिंग प्रक्रिया संस्थागत निवेशकों पर ज्यादा निर्भर हो गई।
इंगा कैपिटल के संस्थापक जीएस गणेश ने कहा, ‘कानूनी प्रक्रियाओं के तौर पर, आपको कीमत दायरे की जरूरत होती है। यदि आप यह स्पष्ट करते हैं कि आपको निर्गम को एक खास कीमत से नीचे नहीं ले जाना है तो आप दायरा बनाए रख सकते हैं, क्योंकि यह कानूनी अनिवार्यता है। इसलिए अच्छा तरीका कीमत दायरे को 1 रुपये या 2 रुपये के अंतर के साथ बनाए रखना है। बड़ी मात्रा के लिए, हरेक निर्गम में पूर्व-बिक्री होती है।’
बैंकरों ने सेबी के इस कदम का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे आईपीओ के मूल्य निर्धारण में छोटे निवेशकों को मदद मिलेगी।
