कोविड महामारी के कारण हुए लॉकडाउन के बाद अर्थव्यवस्था का धीरे-थीरे खुलना कंपनियों के लिए वरदान साबित हुई है, खास तौर से कर्ज से लदी कंपनियों के लिए। क्रेडिट सुइस के प्रबंध निदेशक और भारतीय इक्विटी शोध प्रमुख आशिष गुप्ता ने कुश शाह व जयंत खरोटे के साथ 19 नवंबर की रिपोर्ट में कहा है, विभिन्न क्षेत्रों में दबाव वाला कर्ज मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही 37 फीसदी घटकर 15 लाख करोड़ रुपये रह गया, जो पहली तिमाही में 23.8 लाख करोड़ रुपये रहा था।
नुकसान उठाने वाली फर्मों के कर्ज की हिस्सेदारी भी घटकर 23 फीसदी रह गई, जो कोविड से पहले 28-30 फीसदी थी। क्रेडिट सुइस ने कहा, धातु (टाटा स्टील व सेल) और दूरसंचार (भारती एयरटेल) क्षेत्रों में दबाव वाले कर्ज के स्तरों में गिरावट का इसमें बड़ा योगदान रहा। तिमाही दर तिमाही हालांकि विभिन्न क्षेत्रों में दबाव वाले कुल कर्ज 37 फीसदी घटे लेकिन तिमाही में यह भी देखा गया कि ब्याज कवरेज अनुपात एक से कम वाली कंपनियों
के दबाव वाले कर्ज की हिस्सेदारी तिमाही
आधार पर 35 फीसदी घटी, जो पांच साल का सबसे बढिय़ा स्तर है।
क्रेडिट सुइस के विश्लेषकों ने कहा, इसकी संभावना थी क्योंकि पहली तिमाही में सख्त लॉकडाउन के कारण यह तेजी से बढ़कर 56 फीसदी पर पहुंच गया था। हालांकि वाहन कंपनियों (एमऐंडएम, मदरसन सूमी और टीवीएस मोटर) के अलावा लार्सन ऐंड टुब्रो की निकासी ने राहत पहुंचाई।
ब्याज कवरेज अनुपात का इस्तेमाल यह तय करने मेंं होता है कि कोई कंपनी अपने बकाया कर्ज पर ब्याज कितनी आसानी से चुका सकती है। यह अनुपात एक फीसदी से कम होने का मतलब यह है कि कंपनी अपनी ब्याज देनदारी के लिए पर्याप्त मुनाफा अर्जित नहींं कर रही है। ऐसे मामले में वह ब्याज आदि चुकाने में होने वाली कमी की भरपाई के लिए नकदी रिजर्व का इस्तेमाल कर सकती है या फिर उधार ले सकती है।
दूरसंचार व धातु ने संभाला
दूरसंचार क्षेत्र में एक फीसदी से कम ब्याज कवरेज अनुपात वालों की हिस्सेदारी घटकर 15 फीसदी रह गई है क्योंकि भारती एयरटेल इस सूची से बाहर निकल गई और उससे पहले कई तिमाही तक उसमें सुधार हुआ। क्रेडिट सुइस के नोट में कहा गया है, बिजली क्षेत्र में कुछ सुधार देखा गया, हालांकि प्लांट लोड फैक्टर 52 फीसदी के निचले स्तर पर बना रहा।
क्रेडिट सुइस को लगता है कि इससे बैंकों को आगामी दिनों में लाभ होगा। क्रेडिट लागत में पहली छमाही के दौरान तेजी के बाद इसमें होने वाली नरमी से ऐक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और एसबीआई के रिटर्न ऑन इक्विटी में दूसरी छमाही से सुधार होगा। वित्तीय क्षेत्र में ये बैंक क्रेडिट सुइस के पसंदीदा हैं।
वोडाफोन आइडिया, टाटा मोटर्स, अदाणी पावर, आलोक इंडस्ट्रीज, जीएमआर इन्फ्रा, एनएलसी इंडिया, रिलायंस पावर, एमटीएनएल, इंटरग्लोब एविएशन और जेपी एसोसिएट्स क्रेडिट सुइस की 50 अग्रणी कंपनियों की सूची मेंं शामिल हैं जिनका ब्याज कवेज अनुपात एक फीसदी से कम है और यह वित्त वर्ष 20 की उनकी सकल उधारी पर आधारित है।
