नोमुरा के विश्लेषकों ने एक ताजा रिपोर्ट में कहा है कि शेयर बाजारों में ‘मैकेनिकल’ बॉटम अगले कुछ सप्ताहों में दर्ज किया जा सकता है, लेकिन पूरी तरह रिकवरी के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। नोमुरा ने कहा है कि मंदी के दौरान शेयर ऐतिहासिक तौर पर गिरावट से बाहर निकले हैं, लेकिन जब नीतिगत दरें अभी भी बढ़ रही हैं तो बाजार में ‘बॉटम आउट’ की स्थिति नहीं दिखी है। नोमुरा ने अनुमान जताया है कि एशियाई बाजार अपने अमेरिकी प्रतिस्पर्धियों से पहले गिरावट से उबरने में कामयाब रहेंगे।
नोमुरा के चेतन सेठ, अंकित यादव और अंशुमान अग्रवाल ने एक ताजा रिपोर्ट में लिखा है, ‘आगामी महीनों में चीन में कोई बड़ा प्रोत्साहन पैकेज नहीं मिलने और/या बाजार पूरी तरह नहीं खुलने की संभावना को देखते हुए हम शेयरों में निरंतर सुधार का सुझाव देने की स्थिति में नहीं हैं। अमेरिकी फेड द्वारा दर वृद्धि मार्च 2023 तक बरकरार रहेगी और मामूली-लेकिन लंबी अमेरिकी मंदी की स्थिति बन गई है जो कैलेंडर वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में ही समाप्त हो सकती है।’
उनका विश्लेषण अमेरिका में पिछले 12 मंदी चक्रों के अध्ययन पर आधारित है, जिसमें संकेत दिया गया है कि अमेरिकी शेयर मंदी से पूर्व कभी भी गिरावट का शिकार नहीं हुए, लेकिन मंदी के दौरान इनमें गिरावट आई। हालांकि एक अपवाद वर्ष 2000 में आईटी शेयरों में पैदा हुई बुलबुले जैसे स्थिति से जुड़ा हुआ था और तब शेयर उस उथल-पुथल के बाद गिरावट का शिकार हुए थे।
नोमुरा ने कहा है, ‘नीतिगत दरों के संदर्भ में, पिछली सात मंदी (महामारी समेत) में से छह में, अमेरिकी शेयरों ने कभी निचला स्तर नहीं बनाया, जबकि दरें भी ऊंची बनी हुई थीं। अपवाद जनवरी-जुलाई 1980 की अवधि थी, लेकिन यह वर्ष 1981 की दोहरी मंदी में तब्दील हो गई और तब शेयरों में बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी।’
वैश्विक केंद्रीय बैंकों, खासकर अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा नीतिगत सख्ती के डर ने कैलेंडर वर्ष 2021 के अंत तक लगभग सभी उभरते बाजारों से बड़ी बिकवाली को बढ़ावा दिया। एक आंकड़े से पता चलता है कि भारतीय बाजारों से भी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने अक्टूबर 2021 और जून 2022 के बीच करीब 33 अरब डॉलर की निकासी की।
नोमुरा का कहना है कि एशियाई बाजारों में लगातार सुधार काफी हद तक इस पर निर्भर करेगा कि चीन में महामारी से निपटने के लिए भविष्य में क्या कदम उठाए जाएंगे। नोमुरा ने कहा है, ‘भविष्य में इस पर ध्यान देना जरूरी है कि क्या चीन में बड़े प्रोत्साहन पैकेज दिया जाता है या नहीं, जिससे कि मजबूत सुधार को बढ़ावा मिल सके।’
