घरेलू बाजारों ने सातवें महीनें में अपनी सबसे बड़ी गिरावट के बाद बुधवार को कुछ राहत की सांस ली। निवेशकों ने नए कोरोनोवायरस वैरिएंट ओमीक्रॉन के खतरे की आशंका को देखते हुए कुछ दिनों से बिकवाली, जिससे बाजार में गिरावट को बढ़ावा मिला। हालांकि आज भी बाजार में आर्थिक सुधार और केंद्रीय बैंक के नीतिगत कदमों पर अनिश्चितता के साथ साथ नए वैरिएंट के प्रभाव की वजह से तेजी की रफ्तार सीमित रही।
शुरुआती कारोबार में 724 अंक से ज्यादा गिरने के बाद सेंसेक्स दिन के शेष हिस्से में काफी सुधरकर कुछ बढ़त के साथ बंद होने में कामयाब रहा। सकारात्मक वैश्विक रुझानों से बाजार को ऊपर बने रहने में मदद मिली, हालांकि यह ज्यादा ऊपर नहीं जा सका। वैश्विक फंडों द्वारा लगातार बिकवाली से बाजार प्रदर्शन पर लगातार दबाव पड़ा है।
दिन के कारोबार में सेंसेक्स गिरकर दो महीने के निचले स्तर 56,383 पर पहुंच गया था। हालांकि यह कारोबार के आखिर में 153 अंक या 0.27 प्रतिशत की तेजी के साथ 57.260 पर बंद हुआ।
50 शेयर वाला निफ्टी 16,782 के निचले स्तर पर पहुंच गया था, लेकिन आखिर में 27.5 अंक या 0.16 प्रतिशत की बढ़त के साथ 17,053.95 पर बंद होने में कामयाब रहा।
शुक्रवार को, ये दोनों सूचकांक करीब 3-3 प्रतिशत टूटकर बंद हुए थे, क्योंकि नए कोरोनावायरस वैरिएंट ने दुनियाभर के बाजारों में अनिश्चितता पैदा की है और इससे तेल कीमतों में भारी गिरावट को बढ़ावा मिला है।
जोखिम सहन करने की क्षमता में सुधार, तेल कीमतों में बदलाव और सरकारी बॉन्डों तथा सोने जैसी सुरक्षित परिसंपत्तियों ने राहत प्रदान की है।
जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘निवेशक गिरावट पर खरीदारी और आर्थिक सुधार पर ओमीक्रॉन के प्रभाव को लेकर अनिश्चितताओं के बीच फंसे रहे।’
वैश्विक बाजारों में ताजा बिकवाली को ओमीक्रॉन वैरिएंट की वजह से बढ़ावा मिला। इस वैरिएंट को लेकर चिंता ऐसे समय में सामने आई है जब घरेलू बाजारों के लिए महंगे मूल्यांकन और आय वृद्घि दबाव की वजह से धारणा पहले से ही कमजोर हो चुकी है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज (एमओएफएसएल) के विश्लेषकों गौतम दुग्गड और जयंत पारसरामका ने एक रिपोर्ट में कहा है, ‘नए कोविड-19 वैरिएंट से अनिश्चितता बढ़ी है। हम अगले कुछ सप्ताहों में स्थिति स्पष्ट होने की उम्मीद कर रहे हैं, क्योंकि तब तक नया अतिरिक्त डेटा भी आ जाएगा।’
निफ्टी और सेंसेक्स 18 अक्टूबर के ऊंचे स्तरों से करीब 8 प्रतिशत गिर चुके हैं।
एमओएफएसएल के विश्लेषकों का कहना है कि यह गिरावट फेडरल की घोषणा, बढ़ते बॉन्ड प्रतिफल, ऊंची कच्चे तेल की कीमतों और अमेरिकी डॉलर में मजबूती जैसे वैश्विक कारकों की वजह से भी आई। प्राथमिक बाजार में बड़ी कोष उगाही से भी सेकंडरी बाजार पर कुछ दबाव पड़ा है।
पिछले सप्ताह, वैश्विक फंडों ने 23,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के शेयर बेचे। वहीं सोमवार को एफपीआई ने अन्य 3,332 करोड़ रुपये निकाले।
