एक और विश्व के पूंजी बाजार में तेज गिरावट के लिए भले ही शॉर्ट- सेलिंग को जिम्मेदार मान रहा हो लेकिन इसके बावजूद विश्व एक्सचेंज महासंघ (डब्ल्यूएफई) की प्राथमिकताओं की सूची में शॉर्ट सेंलिंग और स्टॉक लेंडिंग सबसे ऊपर है।
इस संबध में डब्ल्यूएफई की घोषणा इसलिए मायने रखती है क्योंकि शॉर्ट-सेलिंग आज के समय में एक विवादास्पद पहलू हो गया है क्योंकि इससे जुड़े मुद्दे बाजार नियामकों, कानून निर्मातों और बाजार में भागीदारी करनेवालों के बीच नए विवाद खड़े कर रहा है।
गौरतलब कि बंबई शेयर मार्के ट और नैशनल स्टॉक मार्केट भी डब्ल्यूएफई का हिस्सा हैं। गौरतलब है कि अमेरिकी पूंजी बाजार नियामक सेक्योरिटीज ऐंड एक्सेचेंज कमीशन (एसईसी) ने शॉर्ट-सेलिंग पर प्रतिबंध लगा दिया है क्योंकि लीमन ब्रदर्स के दिवालिया होने के पीछे इसे काफी हद तक जिम्मेदार माना जा रहा है।
भारत में भी शॉर्ट-सेलिंग पर काफी गर्म बहस हुई है क्योंकि विदेशी संस्थागत निवेशक शॉर्ट-सेलिंग को बढावा देने के लिए विदेशों में अपने शेयर को बेच देते हैं। भरतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी)विदेशी संस्थागत निवेशकों को शॉर्ट-सेलिंग के मुद्दे पर पहले ही फटकार लगा चुकी है। अभी भी शॉर्ट-सेलिंगे को लेकर विश्व में कोई पुख्ता कानून नहीं है।
