मुद्रास्फीति के 7 प्रतिशत से ऊपर रहने और बेंचमार्क 10 वर्षीय सरकारी प्रतिभूति प्रतिफल 6 प्रतिशत से नीचे रहने के साथ भारत में वास्तविक दरें गिरकर नकारात्मक दायरे में आ गई हैं। विश्लेषकों का कहना है कि इससे उन शेयरों के प्रति कई निवेशकों का रुझान बढ़ सकता है जो अच्छा लाभांश प्रतिफल देते हैं। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज में विश्लेषकों विनोद कार्की और सिद्घार्थ गुप्ता ने सोमवार को एक रिपोर्ट में कहा, ‘पिछले एक साल के दौरान, चूंकि ब्याज दरें लगातार नीचे आई हैं और मुद्रास्फीति बढ़ी है, ऐसे में वास्तविक ब्याज दरें घटकर नकारात्मक दायरे में आई हैं जिससे ऊंचे लाभांश प्रतिफल वाले शेयरों के लिए परिदृश्य सुधरा है। ऊंचे लाभांश प्रतिफल वाले शेयर आकर्षक दिख रहे हैं क्योंकि उनका प्रतिफल अब अन्य फिक्स्ड इनकम योजनाओं के मुकाबले तुलना योग्य है जबकि परिसंपत्ति वर्ग के तौर पर शेयरों की मुद्रास्फीति संबंधित सुरक्षा का भी लाभ बना हुआ है।’
इसलिए, अब सवाल यह है कि कौन से शेयर ज्यादा प्रतिफल वाले हैं? इस सूची में मुख्य रूप से सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (पीएसई) का दबदबा है। कोल इंडिया मौजूदा समय में अधिकतम 9.8 प्रतिशत का लाभांश मुहैया कराती है जिसके बाद अनिल अग्रवाल के नेतृत्व वाली हिंदुस्तान जिंक (7.4 प्रतिशत), ओएनजीसी (6.9 प्रतिशत) और गेल इंडिया (6.8 प्रतिशत) शामिल हैं।
सभी चारों शेयरों के लिए लाभांश प्रतिफल 10 वर्षीय सरकारी प्रतिभूतियों के प्रतिफल के मुकाबले कम से कम 90 आधार अंक ज्यादा है। 10 वर्षीय सरकारी प्रतिभूतियों का प्रतिफल मौजूदा समय में 5.9 प्रतिशत के आसपास है।
सोमवार के कारोबार में ओएनजीसी (6.8 प्रतिशत तक की तेजी), गेल इंडिया (3.5 प्रतिशत) और कोल इंडिया (1.1 प्रतिशत) के शेयरों ने प्रमुख सूचकांक के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया। निफ्टी-50 सूचकांक में 0.5 प्रतिशत कही तेजी दर्ज की गई।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के विश्लेषकों का कहना है कि ज्यादा प्रतिफल वाले शेयरों ने पिछले समय में अच्छा प्रदर्शन किया है, जब वास्तविक दरें नकारात्मक रहीं।
विश्लेषकों ने कहा, ‘एक वर्षीय प्रतिफल के पर्यवेक्षण से संकेत मिलता है कि निफ्टी डिविडेंड अपॉच्र्युनिटीज 50 सूचकांक में ज्यादातर तेजी वित्त वर्ष 2010-12 की अवधि के दौरान दर्ज की गई थी, जब वास्तविक दरें लगातार नकारात्मक बनी हुई थीं।’
कुछ विश्लेषकों का कहना है कि ज्यादा प्रतिफल वाले कुछ शेयरों में गिरावट आई है। लाभांश प्रतिफल पिछले भुगतान का संकेतक है। उनका कहना है कि यह इसकी गारंटी नहीं है कि कंपनी आगे भी शेयरधारकों को अच्छा लाभांश लगातार देती रहेगी।
आईसीआईसीआई सिक्यो. का मानना है कि पूंजीगत खर्च के टलने और बैलेंस शीट में सुधार से अल्पावधि में मजबूत लाभांश भुगतान या पुनर्खरीद में मदद मिल सकती है। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में ज्यादा लाभांश देने वाले शेयरों पर दबाव दिखा है, क्योंकि निवेशकों ने ज्यादा वृद्घि वाले अवसरों पर ध्यान दिया।
