नकदी कारोबार में गैर-संस्थागत निवेशकों की हिस्सेदारी जुलाई में बढ़कर 72 फीसदी पर पहुंच गई, जो करीब 11 साल का सर्वोच्च स्तर है। अगस्त 2009 के बाद यह बाजार का सबसे ऊंचा स्तर है। यह जानकारी मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के विश्लेषण से मिली।
जुलाई में औसत मासिक नकदी कारोबार 62,200 करोड़ रुपये रहा, वहीं गैर-संस्थागत निवेशकों की तरफ से औसत मासिक कारोबार 44,784 करोड़ रुपये का रहा।
जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के कार्यकारी निदेशक सतीश मेनन ने कहा, सक्रिय क्लाइंटों की संख्या काफी ज्यादा बढ़ी है। हमने काफी ज्यादा नए खाते खुलते देखे हैं। ये आंकड़े बताते हैं कि बाजार में खुदरा भागीदारी में तेजी आई है। उन्होंने कहा, मार्च में आई तेज गिरावट के बाद कुछ निवेशकों ने मूल्यांकन देखते हुए निवेश का फैसला लिया। मार्च में बेंचमार्क सेंसेक्स कोविड-19 महामारी और आर्थिक अनिश्चितता के बीच 32 फीसदी से ज्यादा टूट गया था।
विशेषज्ञों ने कहा कि मार्च के निचले स्तर से बाजार में हुए तेज सुधार से खुदरा भागीदारी बहाल हो गई। इक्विनॉमिक्स रिसर्च ऐंड एडवाइजरी के संस्थापक और प्रबंध निदेशक जी चोकालिंगम ने कहा, कोविड-19 महामारी ने लोगों को घरों में रहने के लिए बाध्य कर दिया, ऐसे में उन्होंने शेयर बाजार में निवेश के जरिए कुछ आय अर्जित करने पर ध्यान दिया। बाजारों की हालिया तेजी ने खुदरा निवेशकों को भरोसा दिया है कि बाजारों से त्वरित कमाई की जा सकती है।
23 मार्च के निचले स्तर से सेंसेक्स और निप्टी में करीब 45 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई है। बाजार के विशेषज्ञों ने कहा कि कई निवेशकों ने तेजी में बाजार में प्रवेश किया, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि ये निवेशक उस स्थिति में कैसा व्यवहार करते हैं अगर बाजार में उतारचढ़ाव एक बार फिर गहराता है।
सीधे तौर पर इक्विटी खरीद में खुदरा निवेशकों की दिलचस्पी से ब्रोकिंग आय में सुधार हुआ है, लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि निवेशकों की अवधारणा एक बार फिर इस तरह की आय पर दबाव डाल सकता है। सीएलएसए ने आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज पर एक नोट में कहा है, हमारे सकारात्मक नजरिये का प्रमुख जोखिम पूंजी बाजारों की कमजोरी से उभरेगा, जो निवेशकों की भागीदारी पर असर डाल सकता है, ब्रोकिंग में उम्मीद से ज्यादा कीमत प्रतिस्पर्धा हो सकती है और कमीशन के नियमों में सख्ती जैसे प्रतिकूल नियामकीय बदलाव हो सकते हैं।
बाजार में तेजी के बावजूद संस्थागत निवेशक सतर्कता बरत रहे हैं। देसी म्युचुअल फंड अप्रैल और जुलाई के बीच 9,639 करोड़ रुपये के शुद्ध बिकवाल रहे हैं।
