यदि आपने आय से अधिक निवेश किया है तो सतर्क हो जाइये। शेयर बाजार में उन निवेशकों पर सख्त नजर रखी जा रही है, जिनका निवेश घोषित आय से अधिक है। स्टॉक एक्सचेंज के अधिकारियों ने बताया है कि कुछ कारोबारियों की घोषित संपत्ति और आय एवं शेयर बाजार में किए गए निवेश में भारी अंतर है।
नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने एक परिपत्र जारी कर ब्रोकरों को संदिग्ध लेनदेन की जांच करने के लिए कहा है ताकि रकम के स्रोत का पता चल सके। इधर कुछ ब्रोकरेज अधिकारियों को लगता है कि इस मामले में नियमों के उल्लंघन को कहीं अधिक स्पष्ट करने की जरूरत है ताकि मामले को निपटाने में मदद मिल सके।
परिपत्र में कहा गया है, ‘एक्सचेंज के संज्ञान में आया है कि कुछ ग्राहकों के मामले में पे-इन/पे-आउट देनदारी/ मार्जिन/ निवेश आदि उनके लिए ट्रेडिंग करने वाले सदस्य द्वारा अपलोड की गई से या हैसियत से मेल नहीं खाते। ऐसे में निगरानी से जुड़ी जिम्मेदारी पूरी नहीं करने पर ट्रेडिंग मेंबर के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई (मौजूदा प्रावधानों के तहत) की जा सकती है।’
दो ब्रोकरेज फर्मों के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि लेनदेन अथवा आय एवं निवेश में मेल न होने के मसले पर स्पष्टता नहीं है। ऐसे में अतिरिक्त जांच की आवश्यकता होगी।
ब्रोकरेज के एक अधिकारी ने कहा कि यह संभव है कि कुछ कारोबारी बाजार में खरीदफरोख्त के लिए दूसरों से पैसा उधार ले रहे हों। ऐसे में भी आय के मुकाबले निवेश अधिक दिखेगा। उन्होंने कहा कि फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि स्टॉक एक्सचेंज के अधिकारी ब्रोकरेज से किस स्तर के लेनदेन को उजागर करने की अपेक्षा करते हैं।
अधिकारी ने कहा कि उनकी फर्म ने वार्षिक आय के चार गुने और शुद्ध हैसियत के दोगुने निवेश की सीमा निर्धारित की है। इस सीमा से अधिक निवेश होने पर ब्रोकरेज ग्राहक से स्पष्टीकरण मांगता है। उन्होंने कहा, ‘यह अंदरूनी हिसाब किताब है, जिसकी जानकारी ग्राहक को भी नहीं दी जाती। सीमा पार हो जाए तो हम ग्राहक से बात करते हैं।’
एक अन्य ब्रोकरेज फर्म के अधिकारी ने कहा, ‘उनका कहना है कि यदि ऐसा कोई मामला दिखता है तो आप उसे संदिग्ध लेनदेन के तौर पर सूचित करें।’ उन्होंने कहा कि पहले भी यह मुद्दा उठा था।
ऐसा भी हो सकता है कि ग्राहकों ने अपना विवरण अपडेट न किया हो। हालांकि ऐसा करना आवश्यक है। यदि किसी व्यक्ति ने एक दशक पहले ब्रोकरेज खाता खोला हो तो अब उसकी आय निश्चित तौर पर अधिक होगी।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के एक हालिया अध्ययन ने वित्त वर्ष 2021-22 में कोविड से पहले के मुकाबले वायदा एवं विकल्प (एफऐंडओ) श्रेणी की खरीद-फरोख्त में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की थी। अध्ययन में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान एफऐंडओ श्रेणी में व्यक्तिगत कारोबारियों की संख्या में 500 फीसदी बढ़ोतरी हो गई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2022 के दौरान शीर्ष 10 ब्रोकरेज ने 45 लाख ग्राहकों की ओर से खरीद-फरोख्त की। ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि दिसंबर 2022 तक विभिन्न ब्रोकरेज के सक्रिय ग्राहकों की संख्या घटकर 43 लाख रह गई थी।