सभी राजनीतिक दलों के चुनावी घोषणापत्र में आपको एक बात बेहद आम लगेगी कि उनमें बड़े और नेक इरादों की तफ्तीश के साथ लुभावने वादों का अंबार होता है।
हर राजनीतिक पार्टी द्वारा खुद को दूसरों से बेहतर दिखाने की कवायद तो चल ही रही है ऐसे में बाजार के खिलाड़ी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए कुछ ज्यादा ही मेहरबानी दिखाने की कोशिश में लगे हैं। बाजार के कई बड़े खिलाड़ियों को लगता है कि भाजपा का ‘आर्थिक राहत पैकेज’ कांग्रेस के मुकाबले ज्यादा आकर्षित करने वाला है।
हालांकि कांग्रेस और भाजपा के घोषणापत्र पर नजर डाले तो उसमें पूंजी बाजार के लिए उपयुक्त कदम उठाने के मसले पर चुप्पी साधी गई है। दलाल स्ट्रीट के कई खिलाड़ियों को ऐसा महसूस होता है कि कांग्रेस के घोषणा पत्र में आरक्षण की ओर ज्यादा ध्यान दिया गया है और इसमें आर्थिक वृद्धि के लिए की जाने वाली पहल की योजनाओं की कमी साफ झलकती है।
आनंद राठी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ उपाध्यक्ष इक्विटी, डी डी शर्मा का कहना है, ‘भाजपा का घोषणापत्र बहुत व्यावहारिक लगता है। इससे समाज के सभी वर्ग के लिए कुछ न कुछ है, इसी वजह से शेयर बाजार पर इसका सकारात्मक असर पड़ेगा।’
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के फंड मैनेजर मनीष संथालिया का कहना है कि भाजपा ने अपने घोषणापत्र में अपने एजेंडा को खासतौर पर परिभाषित किया जबकि कांग्रेस का घोषणा पत्र बातों को बहुत स्पष्ट नहीं करता।
उनका कहना है, ‘भाजपा ने जो भी कहा है वह बहुत व्यावहारिक लगता है। अगर भाजपा का रिकॉर्ड देखे तो यह सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की हिस्सेदारी को खत्म कर सकती है जिससे कि पूंजी का बेहतर प्रबंधन किया जा सके । अगर भाजपा स्विस बैंक से अनुमानित 1.5 लाख करोड़ डॉलर वापस लाती है तो इससे भारतीय शेयर बाजार को बहुत मजबूती मिलेगी।’
हालांकि कई लोगों ने खुदरा बाजार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर प्रतिबंध लगाने और मुल्क में अपना परिचालन करने वाली विदेशी कंपनियों पर प्रतिबंधन लगाने की योजना का विरोध किया है।
कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग में शोध प्रमुख अंबरीश बालिगा का कहना है, ‘भारत में काले धन के वापस आने से अर्थव्यवस्था को मदद मिलेगी लेकिन सवाल यह है कि योजना पर अमल कैसे किया जाएगा।’ पार्टी के एफडीआई प्रस्ताव पर उनका कहना है, ‘खुदरा क्षेत्र में एफडीआई पर प्रतिबंध लगाने की बात करना सही कदम नहीं होगा क्योंकि इस सेगमेंट के जरिए पिछले 3-4 सालों के दौरान रोजगार देने वाला यह सबसे बड़ा क्षेत्र है।’
बाजार के कुछ खिलाड़ियों का कहना है कि भाजपा द्वारा कर छूट की सीमा को बढ़ाने और आवास ऋण की दरों को कम करने का कदम बाजार के लिए बहुत सकारात्मक कदम होगा। भाजपा का यह कदम कांगेस द्वारा निजी क्षेत्र, संसद और सरकारी नौकरियों में महिलाओं और समाज के कमजोर वर्गो के लिए कोटा निर्धारित करने के वादे पर भारी पड़ेगा।
पराग पारिख फाइनैंशियल सर्विसेज के वरिष्ठ विश्लेषक जिगर वालिया का कहना है, ‘भाजपा ने ठोस नीतिगत उपाए सुझाएं हैं लेकिन इस पार्टी में एक ही दिक्कत हैं कि यह धर्मनिरपेक्ष जैसे मुद्दे पर गौर नहीं करती है।’ कुछ लोग यह भी महसूस करते हैं कि पहले भाजपा की सरकार का रुझान पूंजी बाजार के लिए था।
एंजेल स्टॉक ब्रोकिंग के प्रबंध निदेशक दिनेश ठक्कर का कहना है, ‘इस बार भी इस पार्टी ने मध्यम वर्ग के लिए कर छूट के फायदे का सही मुद्दा उठाया है। इसके अलावा फ्रिंज बेनिफिट कर को खत्म करने और आईटी सेक्टर में नौकरी जैसे मुद्दे सही उठाया है।’
के आर चोकसी के प्रबंध निदेशक, देवेन चोकसी का कहना है, ‘कांग्रेस घोषणा पत्र को बहुत कम लोग तरजीह दे सकते हैं। पार्टी ने जो भी दावा किया है उसमें कुछ नया नहीं है।’ वह महसूस करते हैं कि भाजपा का एजेंडा बहुत आकर्षक है। सबसे बड़ा सवाल यह भी कि क्या नई सरकार वित्तीय कदमों के लिए किए गए अपने वादों पर अमल किस तरह कर पाएगी।
