भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 2015 के ‘डार्क फाइबर’ मामले में बड़ा जुर्माना लगाया है। इस मामले में ब्रोकरों ने अपनी कोलोकेशन (कोलो) इकाइयों के लिए तेज कनेक्टिविटी मुहैया कराने के लिए नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के इंटरनेट इन्फ्रास्ट्रक्चर का गलत इस्तेमाल किया था।
बाजार नियामक ने एनएसई पर 7 करोड़ रुपये और उसकी पूर्व प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी चित्रा रामकृष्ण पर 5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।
पूर्व समूह परिचालन अधिकारी आनंद सुब्रमण्यन और मौजूदा मुख्य व्यावसायिक विकास अधिकारी रवि वनारसी पर भी 5-5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इंटरनेट सेवा प्रदाता संपर्क इन्फोटेनमेंट से 3 करोड़ रुपये चुकाने को कहा गया है। ऑनलाइन ट्रेडिंग कंपनियों वे2वेल्थ और जीकेएन सिक्योरिटीज से भी 6 करोड़ रुपये और 5 करोड़ रुपये चुकाने को कहा गया है।
नए 186 पृष्ठ के आदेश में 2019 के उस आदेश पर अमल किया गया है जिसमें सेबी ने संपर्क को किसी प्रतिभूति बाजार बिचोलिए को दूरसंचार सेवा मुहैया कराने से रोक दिया था।
नियामक ने एनएसई को तब 62.6 करोड़ रुपये, वे2वेल्थ को 15.34 करोड़ रुपये, और जीकेएन सिक्योरिटीज को 4.9 करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश दिया था।
इस आदेश को प्रतिभूति अपीलीय पंचाट के पेश किया गया जिसकी सुनवाई लंबित है।
अपने नए आदेश में सेबी ने कहा है, ‘नि:संदेह ही, जीकेएन ने डार्क फाइबर या अवैध सेवा प्रदाताओं द्वारा पेश नियर-डार्क फाइबर की मदद से एनएसई कोलो और बीएसई कोलो केंद्रों में स्थित अपने रैक के बीच डायरेक्ट पीयर-टु-पीयर (पी2पी) कनेक्टिविटी स्थापित की, जिससे इन दो एक्सचेंजों की कोलो सुविधा में स्थित अन्य ट्रेडिंग ब्रोकरों के मुकाबले एनएसई द्वारा बाजार आंकड़े तक जीकेएन की तेज पहुंच सुनिश्चित हुई।‘
नियामक ने जीकेएन के इस तर्क को मानने से इनकार किया है कि बाजार आंकड़े तक जल्द पहुंच हासिल होने के लाभ की वजह से उसका कारोबार कई गुना बढ़ गया था। रामकृष्ण पर जुर्माने को सही ठहाते हुए सेबी के निर्णय में कहा गया है, ‘संगठन की सीईओ विभिन्न कामकाजी डिवीजनों के दैनिक परिचालन से जुड़ जिम्मेदारी से नहीं बच सकती।’ आदेश में इसी तरह का तर्क सुब्रमण्यन और वनारसी के मामले में दिया गया है।
