भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) म्युचुअल फंड (एमएफ) उद्योग के लिए जारी किए गए उस विवादास्पद सर्कुलर में कुछ खास क्लॉज को हटा सकता है जिसमें फंड हाउसों को फंड प्रबंधकों और अन्य वरिष्ठï अधिकारियों के वेतन का 20 प्रतिशत हिस्सा उनकी स्वयं की योजनाओं में निवेश करने की जरूरत है।
सूत्रों का कहना है कि सेबी और उद्योग प्रतिनिधियों के बीच 1 अक्टूबर की समय-सीमा से पहले नए मानकों का आसान क्रियान्वयन सुनिश्चित करने को लेकर काफी हद तक अनिश्चितता पैदा हो गई है। उद्योग ने क्रियान्वयन चुनौतियों का हवाला देते हुए कुछ बदलाव लाए जाने के लिए सेबी से अनुरोध किया है और उम्मीद जताई है कि नियामक आगामी सप्ताहों में संशोधित सर्कुलर जारी करेगा।
सेबी ने कहा है कि अप्रैल में पेश किए गए नए मानकों का मकसद परिसंपत्ति बंधन कंपनियों (एएमसी) के प्रमुख कर्मचारियों के हितों को योजनाओं के यूनिटधारकों के अनुरूप समायोजित करना है। यह सर्कुलर शुरू में 1 जुलाई से अमल में आना था। लेकिन 25 जून को सेबी ने इसकी क्रियान्वयन अवधि बढ़ाकर 1 अक्टूबर कर दी। जहां सेबी ने उद्योग को नए मानकों की तैयारी करने के लिए पांच महीने से ज्यादा का समय दिया है, वहीं अधिकारियों का कहना है कि कई चिंताएं अभी भी बनी हुई हैं। मुख्य चिंता सर्कुलर का दायरा है।
मौजूदा समय में, इस सर्कुलर के दायरे में आने वाले कर्मचारियों में मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ), मुख्य निवेश अधिकारी (सीआईओ), मुख्य जोखिम अधिकारी (सीआरओ), फंड प्रबंधक, फंड प्रबंधन और शोध टीम शामिल है। कई फंड हाउसों ने सेबी से उन कर्मचारियों की सूची छोटी करने को कहा है जिन्हें इस नियम में शामिल किया जाएगा, क्योंकि उन्हें कर्मचारियों के छोड़कर जाने का भय सता रहा है।
उद्योग के एक अन्य प्रमुख अधिकारी ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि इस सर्कुलर के दायरे में सिर्फ निवेश निर्णयों और फंड प्रदर्शन के लिए जिम्मेदार कर्मचारियों को ही शामिल किया जाए। मैं नहीं जानता कि इस सर्कुलर में मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारी और मुख्य परिचालन अधिकारी जैसे लोगों को क्यों शामिल किया गया है। सेबी द्वारा संशोधित सर्कुलर में सीईओ, फंड प्रबंधक और शोध टीम को शामिल किए जाने की संभावना है।’
सेबी के मौजूदा सर्कुलर में एएमसी के लगभग पूरे स्टाफ को शामिल किया गया है, जिनमें वे लोग भी शामिल हैं जिनका फंड प्रबंधन या निवेश निर्णयों से कुछ लेना-देना नहीं है। उद्योग द्वारा जताई गई अन्य चिंता फंड प्रबंधकों द्वारा जोखिमपूर्ण योजना श्रेणियों के प्रबंधन को लेकर है। एक अधिकारी ने कहा, ‘ऐसे फंड प्रबंधक भी हैं जो मिड-कैप या सेक्टोरल फंड जैसी ज्यादा जोखिम वाली योजनाओं का प्रबंधन करते हैं। हालांकि वे इनके प्रबंधन में दक्ष हो सकते हैं, लेकिन उनमें जोखिम सहन करने की मजबूत क्षमता नहीं हो सकती है।’