सूचकांक प्रदाता और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड प्रदाता पैसिव इन्वेस्टमेंट के जरिये और बड़े सूचकांकों मसलन निफ्टी-50 व एसऐंडपी बीएसई सूचकांक की बढ़ती मांग के बीच सुर्खियों में आ गए हैं।
इसके परिणामस्वरूप बाजार नियामक सेबी ने परिसंपत्ति प्रबंधकों व अन्य मार्केट मेकर्स के साथ चर्चा शुरू कर चुका है कि क्या सूचकांक प्रदाताऔओं के लिए औपचारिक नियामकीय ढांचा होना चाहिए। साथ ही इस पर चर्चा हो रही है कि क्या खास सूचकांकों को अहम या व्यवस्था के लिहाज से महत्वपूर्ण करार दिया जा सकता है।
देसी म्युचुअल फंडों की तरफ से पेश पैसिव फंडों की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां पिछले एक साल में 50 फीसदी बढ़कर 2.6 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई और पिछले पांच साल में इसमें 30 गुने से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है।
अभी ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर जैसे कुछ देशों ने कुछ बेंचमार्कों को अहम माना है और उसके लिए नियमन शुरू किया है। सिंगापुर की बात करें तो बेंचमार्क डेट मेंं हैं लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने अपने चार डेट मार्केट सूचकांकों के अलावा एसऐंडपी/एएसएक्स 200 इंडेक्स को महत्वपूर्ण करार दिया है।
कुछ निश्चित सूचकांकों पर एकमुश्त भारी निवेश को देखते हुए सेबी का मानना है कि कुछ निश्चित सूचकांकों में शेयरों के चयन की प्रक्रिया व मानक भी अहम है। साथ ही सूचकांकों की गुणवत्ता आदि भी प्रशासित होनी चाहिए।
ये अभी किसी नियामकीय ढांचे के दायरे में नहीं हैं, खास तौर से सूचकांक प्रदाताओं के लिहाज से। हालांकि निफ्टी, सेंसेक्स और अन्य सूचकांकों के लिए शेयर चयन के मानक सार्वजकि तौर पर उपलब्ध हैं।
एक वरिष्ठ फंड मैनेजर ने कहा, सूचकांक मुहैया कराने का कारोबार जटिल बनता जा रहा है। किसी शेयर को इंडेक्स से निकालने या शामिल करने से कंपनी व निवेशक पर खास असर पड़ता है। इसके अलावा संकेंद्रण जोखिम, डेटा शेयरिंग करार, अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना व नकदी प्रबंधन को पक्षपात से दूर रखने की दरकार है। ऐसे में इस पर विचार करने का यह समय सही है कि सूचकांक प्रदाताओं को कैसे विनियमित किया जा सकता है।
वैश्विक स्तर पर एमएससीआई व एफटीएसई रसेल जैसे कई सूचकांक प्रदाता हैं, जो भारतीय प्रतिभूतियों पर योजनाओं की पेशकश करते हैं। देसी बाजार में दो सबसे लोकप्रिय सूचकांक हैं निफ्टी व सेंसेक्स, जिसे स्टॉक एक्सचेंजों की सूचकांक प्रदाता इकाई मुहैया कराती है। निफ्टी के मामले में इंडेक्स प्रदाता फर्म है एनएसई इंडाइसेज और सेंसेक्स के लिए एशिया इंडेक्स, जो बीएसई व एसऐंडपी डाउ जोन्स इंजडाइसेज की 50-50 फीसदी हिस्सेदारी वाली साझेदारी वाली कंपनी है। कई एएमसी इसका व अन्य सूचकांकों का इस्तेमाल अपने फंडों के लिए करती है और इन सूचकांकों पर डेरिवेटिव अनुबंध भी होते हैं।
मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के संस्थापक व मुख्य निवेश अधिकारी सौरभ मुखर्जी ने कहा, मुझे नहीं लगता कि औपचारिक नियामकीय प्रावधान आगे की बात है। हालांकि इस पर चर्चा करना अहम होगा कि क्या एक्सचेंज या ट्रेडिंग सर्विस प्रोवाइडर्स व इंडेक्स प्रोवाइडर्स की भूमिका अलग-अलग करने की दरकार है। वैश्विक स्तर पर कोई भी अग्रणी एकक्सचेंज इंडेक्स प्रदाता हैं। भारत में एक्सचेंजों के अपने सूचकांक हैं। यह हितों का टकराव पैदा कर सकता है, जिसे कम किया जा सकता है।
