बाजार नियामक सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी ने हाल में नियामक की तरफ से उठाए गए कदमों मसलन पीक मार्जिन के नियमों और ट्रेड सेटलमेंट साइकल में कमी लाने के लिए बनाए गए नियमों का बचाव किया। उन्होंने कहा कि ये कदम निवेशकों के हित में हैं और इनके खिलाफ कोई तर्क नहीं दे सकता।
पीक मार्जिन के नियम और टी प्लस वन सेटलमेंंट साइकल के प्रस्ताव की ब्रोकिंग समुदाय और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक आलोचना कर रहे हैं। सीआईआई फाइनैंशियल मार्केट समिट को संबोधित करते हुए त्यागी ने कहा, पीक मार्जिन के नए नियम हर किसी के हित में हैं। निवेशक के मार्जिन का इस्तेमाल अन्य के लिए या प्रोप्राइटरी ट्रेडिंग के लिए ब्रोकरों को नहीं करना चाहिए। खुदरा भागीदारी को देखते हुए उच्च मार्जिन के नियम हमें काफी राहत देंगे और यह आश्वासन भी कि कुछ भी गलत नहीं होगा।
1 सितंबर से सेबी ने ब्रोकरेज फर्मों को अतिरिक्त इंट्राडे उधारी इक्विटी व डेरिवेटिव ट्रेडिंग में देने से रोक दिया है। इसका मतलब यह है कि निवेशकों को न्यूनतम मार्जिन जमा कराना होगा। टी प्लस वन सेटलमेंट के मामले में त्यागी ने कहा, टी प्लस 3 से टी प्लस 2 की ओर 2003 में जाना हुआ था। इसे और घटाने की दरकार है क्योंंकि भुगतान व बैंंकिंग व्यवस्था में काफी सुधार हुआ है। निवेशकों ने जो भी खरीदा है उसे जितनी जल्दी संभव हो पाने का अधिकार है।
7 सितंबर को सेबी ने देसी बाजारों के लिए वैकल्पिक टी प्लस वन सेटलमेंट साइकल 1 जनवरी 2022 से लागू करने की खातिर सर्कुलर जारी किया है। नियामक ने स्टॉक एक्सचेंजों को यह फैसला लेने का निर्देश दिया है कि क्या वे सूचीबद्ध शेयरों में से किसी के लिए कम अवधि वाला सेटलमेंट साइकल चाहते हैं।
त्यागी ने कहा कि सेबी कम अवधि वाला सेटलमेंट साइकल की ओर चरणबद्ध तरीके से बढ़ रहा है क्योंंकि एफपीआई ने कुछ चिंताओं व चुनौतियां सामने रखी है। एफपीआई ने परिचालन से जुड़ी चुनौतियों मसलन टाइम जोन डिफरेंस, विदेशी विनिमय से संबंधित मसलों आदि का हवाला देते हुए इसका विरोध किया है। इन चिंताओं पर त्यागी ने कहा, एफपीआई साल 1999 से डेरिवेटिव बाजार में निवेश कर रहे हैं जहां अग्रिम भुगतान की दरकार होती है। साथ ही वे आईपीओ में निवेश करते है जहां सात दिन के लिए रकम बाधित हो जाती है। यहां तक कि अमेरिकी क्लियरिंग कॉरपोरेशन ने टी प्लस वन सेटलमेंट की ओर बढऩे की खातिर चर्चा पत्र जारी किया है।