शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया नए निचले स्तर पर बंद हुआ। डीलरों का कहना है कि हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के हस्तक्षेप से रुपये को दिन के कारोबार में आई बड़ी गिरावट से उबरने में मदद मिली। रुपया शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले 80.99 पर बंद हुआ, जबकि गुरुवार के लिए यह प्रति डॉलर 80.87 पर था। दिन के कारोबार में, रुपये ने पहली बार डॉलर के मुकाबले 81 का आंकड़ा पार किया और 81.26 के निचले स्तर को छुआ। 2022 में डॉलर में मुकाबले रुपया 8.2 प्रतिशत गिर चुका है।
सरकारी बॉन्डों में भी बड़ी कमजोरी आई और 10 वर्षीय प्रतिफल 8 आधार अंक चढ़कर 7.39 प्रतिशत पर बंद हुआ। बॉन्ड कीमतों और उसके प्रतिफल में विपरीत संबंध है। 10 वर्षीय बॉन्ड प्रतिफल में एक आधार अंक वृद्धि से इसकी कीमत में करीब 7 पैसे की गिरावट आती है।
रुपये में पिछले कुछ दिनों से बड़ी गिरावट आई है और बुधवार से यह डॉलर के मुकाबले 1.24 प्रतिशत कमजोर हुआ है, क्योंकि फेडरल रिजर्व द्वारा अनुमान से ज्यादा समय तक सख्त मौद्रिक नीति चक्र अपनाए जाने के संकेतों के बाद डॉलर में मजबूती आई है। पिछले कुछ के दौरान, रुपया अन्य उभरते बाजारों की मुद्राओं के मुकाबले ज्यादा कमजोर हुआ है।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक दिलीप परमार ने कहा, ‘भारतीय रुपये में मजबूत डॉलर सूचकांक के बीच अप्रैल 2021 के बाद से सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट दर्ज की गई। रुपये में कमजोरी के आसार नहीं दिख रहे हैं, क्योंकि यह दो दशक ऊंचे स्तर पर पहुंच चुका है और इसके विपरीत रुपया नए स्तर की ओर बढ़ा है।’
उन्होंने कहा, ‘अल्पावधि में, डॉलर का प्रदर्शन अच्छा रहने की संभावना है, क्योंकि कारोबारी अमेरिका और अन्य देशों में ब्याज दरों के बीच बढ़ते अंतर पर ध्यान दे रहे हैं। हाजिर डॉलर/रुपया को 81.40 पर प्रतिरोध और 80.55 पर समर्थन मिला है।’
शुक्रवार को 111.81 के 20 वर्षीय ऊंचे स्तर पर पहुंच गया अमेरिकी डॉलर सूचकांक पूर्ववर्ती दिन 110.64 पर था। 2022 में अब तक, डॉलर सूचकांक 16 प्रतिशत से ज्यादा मजबूत हुआ है। ऊंची अमेरिकी ब्याज दरों से दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में प्रतिफल बढ़ता है और भारत जैसे उभरते बाजारों में परिसंपत्तियों का आकर्षण कम होता है।
हालांकि डीलरों का कहना है कि आरबीआई ने रुपये में उतार-चढ़ाव रोकने के प्रयास में भारी तादाद में डॉलर की बिक्री की थी। मुद्रा कारोबारियों का कहना है कि पिछले कुछ महीनों में आरबीआई द्वारा अपने भंडार में बड़ी कमी किए जाने से केंद्रीय बैंक अब रुपये को
वैश्विक बुनियादी आधारों के अनुरूप गिरने दे सकता है और सिर्फ 82 डॉलर के मुकाबले 82 के आसपास पहुंचने पर अपना हस्तक्षेप तेज कर सकता है। मेकलई फाइनैंशियल सर्विसेज के उपाध्यक्ष रितेश भंसाली ने कहा, ‘गिरावट रोकने के लिए आरबीआई द्वारा 81.5 से 82 के स्तरों के बीच हस्तक्षेप किए जाने से रुपया अल्पावधि में 80-82 के दायरे में सीमित रहने का अनुमान है। ‘
आरबीआई के ताजा आंकड़े से पता चलता है कि विदेशी मुद्रा भंडार 16 सितंबर को 545.65 अरब डॉलर पर था, जो सप्ताह में 5.2 अरब डॉलर कम है। भंडार का मौजूदा स्तर 2 अक्टूबर 2020 के बाद से सबसे कम है। 25 फरवरी को विदेशी मुद्रा भंडार 631.53 अरब डॉलर था और तब रूस ने यूक्रेन पर हमला शुरू ही किया था।
इस महीने के शुरू में आरबीआई ने कहा कि 553.1 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार (2 सितंबर तक) चालू वित्त वर्ष के लिए अनुमानित 9 महीने के आयात के बराबर था। वहीं सितंबर, 2021 में मुद्रा भंडार का स्तर करीब 15 महीने के आयात कवर के बराबर था।