आज इंट्रा डे सौदों के दौरान रुपया गिरकर 76.97 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंच गया। यह अब तक का सबसे निचला स्तर है। हालांकि बाद में केंद्रीय बैंक के अनुमानित हस्तक्षेप के बाद रुपये के स्तर में कुछ सुधार हुआ।
कारोबार की समाप्ति पर आज भारतीय मुद्रा 76.93 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुई। इसमें पहले की बंदी की तुलना में 0.87 प्रतिशत की गिरावट आई है। आज 76.64 रुपये प्रति डॉलर के साथ रुपये की कमजोर शुरुआत हुई, जबकि पहले की बंदी 76.26 रुपये प्रति डॉलर थी। अमेरिकी कोषागार का प्रतिफल ऊपर उठा और निवेशकों ने सुरक्षित संपत्तियों में निवेश किया, जिसकी वजह से आज डॉलर में मजबूती आई और अमेरिकी इक्विटी में तेज गिरावट दर्ज हुई।
वहीं कच्चे तेल की कीमत करीब 110 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई, जिससे रुपये पर दबाव बढ़ा, क्योंकि देश अपनी जरूरतों का 80 प्रतिशत से ज्यादा आयात करता है।
इसके पहले 7 मार्च को रुपया सर्वाधिक निचले स्तर पर पहुंचा था, जब 76.97 रुपये प्रति डॉलर पर रुपये का कारोबार बंद हुआ था।
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स के कोषागार के प्रमुख अनिल कुमार भंसाली ने कहा, ‘बैंक आफ इंगलैंड द्वारा 10 प्रतिशत महंगाई दर के अनुमान के कारण वैश्विक बाजारों में घबराहट, डॉलर सूयकांक 102.50 से बढ़कर 104.06 पर पहुंचने, डॉलर के मुकाबले सभी एशियाई मुद्राओं के गिरने, इक्विटी में गिरावट और ऐक्सिस म्युचुअल फंड में धोखाधड़ी की खबरों के कारण डॉलर के मुकाबले रुपया 76.90 के स्तर पर पहुंच गया, जो कल के 76 पर पहुंचने के बाद का न्यूनतम स्तर है।’
चालू वित्त वर्ष में रुपये में 1.5 प्रतिशत की गिरावट आई है।
भंसाली ने कहा, ‘रुपये में गिरावट थामने के लिए रिजर्व बैंक था, उसके बावजूद 76.70 से 76.95 के निचले स्तर पर कारोबार हुआ। एफआईआई डॉलर के मुख्य खरीदार बने रहे, भले ही तेल कंपनियों ने 113 डॉलर प्रति बैरल के उच्च स्तर पर तेल की खरीदारी की।’
रिजर्व बैंक डॉलर की बिक्री कर आक्रामक रूप से विदेशी विनिमय बाजारों में हस्तक्षेप करता रहा है, जिसके परिणामस्वरूप विदेशी मुद्रा का भंडार 642 अरब डॉलर के सर्वाधिक स्तर से 2 सितंबर, 2021 को समाप्त सप्ताह में 45 अरब डॉलर के करीब कम हुआ है।
शुक्रवार को जारी रिजर्व बैंक के हाल के आंकड़ों से पता चलता है कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार गिरकर 29 अप्रैल की समाप्त सप्ताह में 598 अरब डॉलर रह गया है।
आईएफए ग्लोबल के संस्थापक और सीईओ अभिषेक गोयनका ने कहा, ‘रिजर्व बैंक रुपये में गिरावट को थामने के लिए अपने अस्त्रों का इस्तेमाल कर रहा है।’
2022 में विदेशी मुद्रा भंडार करीब 36 अरब डॉलर कम हुआ है। गोयनका ने कहा, ‘हमें लगता है कि एक स्तर के बाद रिजर्व बैंक रुपये को गिरने देगा, क्योंकि उसका भंडार लगातार कम हो रहा है और इस उतार चढ़ाव के दौर में और कोई चारा नहीं है। कोविड के दौरान हम लड़ सकते थे, क्योंकि हमारा भंडार बढ़ रहा था और तेल सर्वाधिक निचले स्तर पर था। लेकिन अब इसके विपरीत स्थिति है। भंडार कम हो रहा है, तेल के दाम बढ़ रहा है और आय़ातित महंगाई बढ़ रही है।’
व्यापार घाटा बढऩे से विश्लेषकों का अनुमान है कि देश दो अंकों के घाटे की ओर जा रहा है, जो भारत के लिए नकारात्मक स्थिति है।
स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के अर्थशास्त्रियों के एक विश्लेषण के मुताबिक आयात और निर्यात दोनों मूल्य बढ़कर वित्त वर्ष 22 के अंत तक कोविड के पहले के स्तर पर पहुंच गया है, या उससे ज्यादा हो गया है। स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक ने रिपोर्ट में कहा है, ‘हम उम्मीद करते हैं कि चालू खाते का घाटा जीडीपी 2.5 प्रतिशत और बीओपी घाटा 10 अरब डॉलर रहेगा, जिसमें घाटा बढऩे का जोखिम ज्यादा है।’ अगर निवेशक सुरक्षित संपत्तियों की ओर भागना जारी रखते हैं तो रुपया 77 के स्तर के पार जा सकता है और भारत का चालू खाते का घाटा बढ़ सकता है। रिजर्व बैंक का मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप करने की सीमा है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियलव सर्विसेज के फॉरेक्स और बुलियन एनलिस्ट गौरांग सोमैया ने कहा, ‘मार्च 2022 के से रुपया निचले स्तर पर चल रहा है और डॉलर में मजबूती जारी है। हम उम्मीद करते हैं कि यूएसडीआईएनआर (हाजिर) सकारात्मक रुख के साथ कारोबार करेगा और यह 76.40 और 77.20 की सीमा में रहेगा।’
