विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की तरफ से कर्ज को लेकर संभावित चूक को टालने के लिए देश की कर्ज सीमा में बढ़ोतरी के अमेरिका की वित्त मंत्री जैनेट येलन के बयान के बाद भारतीय रुपया सोमवार को टूट गया। येलन ने वॉल स्ट्रीट जर्नल में अपना विचार रखा है, जिसमें कहा गया है, अमेरिका ने कभी भी चूक नहीं की है। एक बार भी नहीं। ऐसा करने से ऐतिहासिक वित्तीय संकट और तेज हो सकता है, जो स्वास्थ्य को लेकर जारी मौजूदा आपातकाल को और क्षति पहुंचा सकता है। डिफॉल्ट या चूक से ब्याज दरों में बढ़ोतरी हो सकती है, शेयर कीमतों में भारी गिरावट आ सकती है और अन्य वित्तीय संकट खड़ा हो सकता है। हमारा मौजूदा आर्थिक सुधार मंदी में तब्दील हो सकता है और अरबों डॉलर की चपत और करोड़ों नौकरियों का नुकसान हो सकता है।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व की पूर्व चेयरपर्सन येलन ने लिखा है, इस संकट से हम स्थायी तौर पर कमजोर राष्ट्र बन जाएंगे। उन्होंने कहा, हम किसी अन्य देश के मुकाबले सस्ती दर पर उधार ले सकते हैंं और डिफॉल्ट से हमारी वित्तीय स्थिति ऐसी नहीं रह जाएगी। यह अमेरिका को रहने के लिए और महंगा बना देगा क्योंंकि ज्यादा लागत पर उधारी का भार उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। मॉर्गेज भुगतान, कार लोन, क्रेडिट कार्ड का बिल – उधारी पर ली गई हर चीज डिफॉल्ट के बाद महंगी हो जाएगी। येलन ने हालांकि डिफॉल्ट का समय नहीं बताया है, लेकिन पहले कहा था कि डिफॉल्ट का मामला अक्टूबर में देखने को मिल सकता है जब ट्रेजरी का अपना नकदी भंडार और 28.4 लाख करोड़ डॉलर की असाधारण उधारी सीमा खत्म हो जाएगी। रॉयटर्स ने यह खबर दी थी।
उनके इस लेख के बाद डॉलर इंडेक्स मजबूत हुआ और ज्यादातर वैश्विक मुद्राएं कमजोर हुईं। यह इंडेक्स अन्य अहम मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की ताकत की माप करता है। डॉलर इंडेक्स 0.25 फीसदी चढ़कर 93.4240 पर पहुंच गया, जो एक महीने का उच्चस्तर है। डॉलर के मुकाबले रुपया 73.8250 पर खुला, जो एक दिन पहले के बंद भाव 73.48 से नीचे है। राष्ट्रीयकृत बैकों की तरफ से (संभवत: केंद्रीय बैंक के बदले) डॉलर की बिकवाली से रुपया 73.7450 पर बंद हुआ। निर्यातकों ने भी डॉलर की बिकवाली की, यह कहना है करेंसी डीलरों का।
10 वर्षीय बॉन्ड प्रतिफल तीन आधार अंक फिसलकर 6.14 फीसदी पर बंद हुआ। सोमवार को सेंसेक्स 524 अंक टूटकर 58,490 पर बंद हुआ।
बाजार के सूत्रों ने कहा कि मार्जिन कॉल प्रभावी हुआ लेकिन मंगलवार व बुधवार को फेड की होने वाली बैठक से पहले ली गई पोजीशन काफी कम थी। चीन के रियल एस्टेट समूह एवरग्रेंड ग्रुप की तरफ से कर्ज डिफॉल्ट की बढ़ती संभावना के कारण करेंसी मार्केट भी सतर्क है।
युआन में कमजोरी के कारण भी रुपया दबाव में आया। रुपया, डॉलर और चीन की मुद्रा पर नजदीकी नजर रखता है। मैकलाई फाइनैंशियल के उपाध्यक्ष इमरान काजी ने कहा, बाजार के ज्यादातर भागीदार इस हफ्ते होने वाली बैठक में फेड की तरफ से प्रोत्सााहन कार्यक्रम में संभावित नरमी की समयसारणी की उम्मीद कर रहे हैं, वहीं हाल के अमेरिकी आर्थिक आंकड़े मिश्रित रहने के कारण अलग-अलग अनुमान लगाए जा रहे हैं। नवंबर में बॉन्ड खरीद कार्यक्रम में नरमी पर फेड के अतिरिक्त स्पष्टीकरण से अमेरिकी डॉलर को बढ़त हासिल करने में मदद मिलेगी।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन ने हाल में आश्वस्त किया है कि ब्याज दरें जल्दबाजी में नहीं बढ़ाई जाएगी, वहीं संकेत दिया था कि प्रोत्साहन कार्यक्रम में तत्काल नरमी नहीं लाई जाएगी, लेकिन बाजार अब इसमें कमी की संभावना देख रहा है, खास तौर से जब येलन ने अमेरिका में संभावित कर्ज डिफॉल्ट पर चेतावनी दी है।
