वैश्विक बाजार में कच्चे तेल के दाम में जोरदार उछाल से शेयर बाजार को जबरदस्त झटका लगा है। रूस के तेल निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने की आशंका से बें्रट क्रूड जुलाई 2008 के बाद पहली बार 139 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गया। तेल के दाम में तेजी से अन्य जिंसों के दाम भी बढ़ सकते हैं जिसका असर कंपनियों के मुनाफे पर पड़ेगा।
तेल के दाम के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों जैसे वाहन, विमानन और पेंट कारोबार पर व्यापक असर पडऩे की आशंका है जिससे इन क्षेत्रों की कंपनियों के शेयरों में भी तेजी गिरावट आई है। दूसरी ओर जिंसों के दामों में तेजी से लाभ में रहने वाली कंपनियों के शेयरों में बढ़त देखी गई।
बेंचमार्क सेंसेक्स 1,491 अंक या 3.74 फीसदी लुढ़ककर 52,824 पर बंद हुआ, जो 30 जुलाई के बाद इसका सबसे निचला स्तर है। अक्टूबर 2021 में 61,766 के अपने उच्चतम स्तर सेंसेक्स करीब 14.4 फीसदी नीचे आ चुका है। इस साल अब तक इसमें करीब 9.3 फीसदी की गिरावट आई है।
निफ्टी भी 382 अंक या 2.3 फीसदी के नुकसान के साथ 15,863 पर बंद हुआ। निफ्टी में अपेक्षाकृत कम गिरावट इसलिए आई क्योंकि ओएनजीसी (13 फीसदी), हिंडाल्को (6.3 फीसदी) और कोल इंडिया (4.2 फीसदी) के शेयरों में अच्छी खासी बढ़त देखी गई।
हालांकि बाद के कारोबार में ब्रेंट क्रूड के दाम कुछ कम हुए और वह 130 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था। निवेशकों की नजरें रूस के खिलाफ अमेरिका और यूरोप के अगले कदम पर टिकी हुई है। इस बीच ट्रेडर तेल वायदा पर यह मानकर दांव लगा रहे हैं कि इस महीने के अंत तक कच्चा तेल 200 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच सकता है।
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के सह-प्रमुख और प्रबंध निदेशक संजीव प्रसाद ने कहा, ‘रूस द्वारा यूक्र्रेन पर हमला करने से रूस से कच्चे तेल का निर्यात घट सकता है जिससे इसके दाम में तेजी देखी जा रही है। हमारा अनुमान है कि भारत की अर्थव्यवस्था पर वित्त वर्ष 2022 की तुलना में 70 अरब डॉलर (जीडीपी का 1.9 फीसदी) का अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा। यह अनुमान कच्चा तेल का दाम औसतन 120 डॉलर प्रति बैरल के आधार पर लगाया गया है।’
