बढ़ती मुद्रास्फीति और ऊंची उत्पादन लागत ही आगामी तिमाहियों में कॉरपोरेट आय के लिए जोखिम नहीं हैं। भारतीय उद्योग जगत की वित्तीय स्थिति को ताजा महीनों में ब्याज दर बढऩे से भी चुनौती का सामना करना पड़ा है, जिसका संकेत भारत सरकार के 10 वर्षीय बॉन्ड पर प्रतिफल से मिलता है।
10 वर्षीय सरकारी बॉन्ड पर प्रतिफल दिसंबर 2020 तिमाही के 5.9 प्रतिशत के निचले स्तर (तिमाही औसत) से 46 आधार अंक ऊपर है और इसमें लगातार तेजी आई है। बॉन्ड बाजार का प्रतिफल शुक्रवार को 6.37 प्रतिशत की तेजी के साथ बंद हुआ, जो वित्त वर्ष 2022 की दूसरी तिमाही के 6.21 प्रतिशत से 16 आधार अंक ऊपर है।
विश्लेषकों का कहना है कि इससे आगामी तिमाहियों में कॉरपोरेट आय प्रभावित हो सकती है, क्योंकि कई कॉरपोरेट उधारी पर ब्याज दरें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बॉन्ड प्रतिफल से संबंधित हो हो सकती हैं।
जेएम फाइनैंशियल इंस्टीट्यूशनल इक्विटी के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य रणनीतिकार धनंजय सिन्हा का कहना है, ‘बॉन्ड प्रतिफल में भारी गिरावट और पिछले साल ब्याज दरों में आई कमी से कॉरपोरट आय को मदद मिली है। इसमें अब नरमी आ रही है, क्योंकि बॉन्ड बढ़ रहा है, जिसका असर जल्द ही कंपनियों के लिए फंडिंग लागत के तौर पर दिखेगा।’
ऐतिहासिक तौर पर, बॉन्ड प्रतिफल और भारतीय उद्योग जगत की ब्याज लागत के बीच नकारात्मक संबंध है। उदाहरण के लिए, आरबीआई द्वारा पिछले साल मई में नीतिगत दर घटाए जाने के बाद कंपनियों के ब्याज खर्च में पिछली पांच तिमाहियों के दौरान भारी कमी आई है, जिससे बॉन्ड प्रतिफल में बड़ी गिरावट को बढ़ावा मिला। हालांकि इसमें कई तिमाहियों का अंतर दिखा।
उदाहरण के लिए, सूचीबद्घ कंपनियों द्वारा तिमाही ब्याज भुगतान अप्रैल-जून 2020 की तिमाही में 2.78 लाख करोड़ रुपये के ऊंचे स्तर से घटकर वित्त वर्ष 2022 की दूसरी तिमाही में 2.48 लाख करोड़ रुपये रह गया। इससे पिछली पांच तिमाहियों में सूचीबद्घ कंपनियों को 1.15 लाख करोड रुपये की कुल बचत हुई। इसकी वजह से समीक्षाधीन अवधि में परिचालन लाभ या एबिटा में वृद्घि के मुकाबले कर-पूर्व लाभ और कर-बाद लाभ में तेज वृद्घि हुई।
यह विश्लेषण सभी क्षेत्रों में 2,594 कंपनियों के नमूने के तिमाही परिणाम पर आधारित है। विश्लेषकों का कहना है कि जहां ब्याज लागत में कुछ गिरावट कंपनियों का कर्ज घटने से आई, वहीं ज्यादातर कमी उधारी लागत घटने से भी दर्ज की गई।
इसके परिणामस्वरूप, शुद्घ बिक्री के अनुपात के तौर पर कंपनियों की ब्याज लागत घटकर वित्त वर्ष 2022 की दूसरी तिमाही में 10.4 प्रतिशत के 5 वर्षीय निचले स्तर पर रह गई, जो वित्त वर्ष 2020 की चौथी तिमाही में 13.4 प्रतिशत थी। जहां ब्याज दर में कमी से सभी क्षेत्रों की कंपनियों को फायदा हुआ, वहीं, सबसे ज्यादा लाभ बैंकों और एनबीएफसी को हुआ। उदाहरण के लिए, बैंकों की कोष लागत वित्त वर्ष 2020 की चौथी तिमाही के 5 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2022 की पहली छमाही में 3.84 प्रतिशत रह गई। इससे बैंकों को पिछले डेढ़ साल के दौरान अपना मार्जिन सुधारने में मदद मिली।
कुछ विश्लेषकों को ब्याज दर में मौजूदा स्तर से कुछ नरमी आने की भी उम्मीद है, क्योंकि तेल एवं धातु कीमतों में ताजा गिरावट आई है। कच्चे तेल की कीमतें पिछले सप्ताह में 15 प्रतिशत नीचे आईं, जबकि औद्योगिक धातु की कीमतों में 8-10 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
