वित्त वर्ष 20-21 की सितंबर तिमाही (दूसरी तिमाही) में दर्ज मुनाफे के मद्देनजर भारतीय उद्योग जगत ने विश्वव्यापी महामारी की वजह से उत्पन्न रुकावटों के बावजूद अच्छा प्रदर्शन किया है। सूचीबद्ध कंपनियों का संयुक्त शुद्ध लाभ सालाना आधार पर ढाई गुना बढ़कर 1.52 लाख करोड़ रुपये के स्तर तक पहुंच गया है।
इसकी तुलना में इन कंपनियों ने वित्त वर्ष 21 की पहली तिमाही के दौरान 11,200 करोड़ रुपये का संयुक्त शुद्ध लाभ दर्ज किया था और वित्त वर्ष 20 की चौथी तिमाही में संयुक्त शुद्ध हानि 450 करोड़ रुपये की दर्ज की गई थी। इसमें हैरानी की कोई बात नहीं है कि इक्विटी निवेशक सभी क्षेत्रों के स्टॉक में अधिक पैसा लगा रहे हैं और यह व्यापक बाजार अब कोविड से पहले के स्तर के मुकाबले ज्यादा मूल्यवान है।
बिक्री की मात्रा और राजस्व में निरंतर संकुचन के बावजूद कमाई में इजाफे के रुख से हैरानी होती है। सूचीबद्ध कंपनियों की संयुक्त शुद्ध बिक्री (बैंकों और गैर-बैंक वाले ऋणदाताओं के मामले में ब्याज आय) दूसरी तिमाही के दौरान 5.2 प्रतिशत कम थी। राजस्व के लिहाज से गिरावट वाली यह लगातार पांचवीं तिमाही रही। तुलनात्मक रूप से वित्त वर्ष 20 की दूसरी तिमाही के दौरान सालाना आधार पर शुद्ध बिक्री 0.7 कम थी और वित्त वर्ष 21 की पहली तिमाही के दौरान सालाना आधार पर यह 27 प्रतिशत कम थी। राजस्व में नजर आनी वाली यह प्रवृत्ति आर्थिक गतिविधि में क्रमिक आधार पर तीव्र सुधार का संकेत देती है, लेकिन यह सुधार अभी तक कोविड से पहले के अपने उच्च स्तर तक नहीं पहुंचा है।
यह विश्लेषण 2,672 सूचीबद्ध कंपनियों के तिमाही नतीजों के आधार पर है जिसमें इन कंपनियों की सहायक कंपनियां भी शामिल हैं। वित्त वर्ष 21 की दूसरी तिमाही के दौरान भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया के शुद्ध लाभ में लगभग दो-तिहाई बदलाव आया। इन दोनों मोबाइल ऑपरेटरों ने हानि में सालाना आधार पर तीव्र गिरावट दर्ज की क्योंकि इन्हें समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाये के लिए और इंतजाम नहीं करना है। वोडाफोन आइडिया ने पिछले वर्ष के लगभग 50,000 करोड़ रुपये की शुद्ध हानि की तुलना में वित्त वर्ष 21 की दूसरी तिमाही के दौरान 6,451 करोड़ रुपये की शुद्ध हानि दर्ज की है। वित्त वर्ष 21 की दूसरी तिमाही के दौरान एयरटेल का शुद्ध घाटा पिछले साल के लगभग 23,000 करोड़ रुपये से घटकर 776 करोड़ रह गया है।
इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम जैसी तेल कंपनियों ने अपनी शुद्ध बिक्री में 20 प्रतिशत से अधिक की गिरावट के बावजूद इन्वेंट्री लाभ के कारण बड़ा मुनाफा दर्ज किया है। हालांकि यह असाधारण लाभ अब खत्म हो जाएगा।
बैंकों की कमाई में भी इजाफे के रुख ने हैरान किया है क्योंकि न तो उन्हें संकटग्रस्त ऋणों की जानकारी देनी थी और न ही इसके लिए व्यवस्था करनी थी। मोरेटोरियम के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से ऐसा हुआ है। नए कर्ज में हल्की तेजी के बावजूद परिणामों में तीव्र वृद्धि रही है। बेंचमार्क ब्याज दर में गिरावट से भी कुछ मदद मिली है।
तेल और गैस, बैंकों और वित्तीय तथा दूरसंचार कंपनियों के अलावा अन्य कंपनियों के शुद्ध लाभ में सालाना आधार पर 7.8 प्रतिशत का इजाफा हुआ है, जबकि उनका समायोजित शुद्ध लाभ दूसरी तिमाही के दौरान सालाना आधार पर 3.5 प्रतिशत अधिक रहा है। वित्त वर्ष 21 की पहली तिमाही में सालाना आधार पर 31.4 प्रतिशत संकुचन की तुलना में सालाना आधार पर इन कंपनियों की शुद्ध बिक्री में 3.2 प्रतिशत की गिरावट आई है।
