पिछले हफ्तों में कच्चा तेल रिफाइनरों के लाभप्रदता के बेंचमार्क में तेजी से गिरावट आई है, ऐसे में इसने रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी तेल कंपनियों को केंद्र में ला दिया है।
वैश्विक स्तर पर मंदी की आशंका से मांग पर असर को देखते हुए सिंगापुर-दुबई हाइड्रोक्रैकिंग रिफाइनिंग मार्जिन में पिछले महीने 57 फीसदी की गिरावट आई है। ब्लूमबर्ग के मुताबिक, यह अभी 16.24 डॉलर प्रति बैरल है।
विश्लेषकों ने कहा, यह गिरावट अन्य रिफाइनरों के साथ आरआईएल को झटका दे सकता है क्योंकि वे कच्चे तेल से रिफाइंड उत्पाद बनाते हैं। गुरुवार को ब्रेंट क्रूड 3.2 फीसदी गिरकर 105.8 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। पिछले हफ्ते 100 डॉलर से नीचे जाने के बाद इस हफ्ते में यह बेंचमार्क मोटे तौर पर घटता-बढ़ता रहा है।
आरआईएल पहली तिमाही के नतीजे शुक्रवार को घोषित कर सकती है। गुरुवार को आरआईएल का शेयर बीएसई पर 0.6 फीसदी टूटकर 2,487.4 रुपये प्रति शेयर पर बंद हुआ। यह गिरावट अप्रत्याशित कर में कटौती के एक दिन बाद देखने को मिली। कर कटौती की घोषणा से रिलायंस समेत अन्य तेल शेयर चढ़े थे।
गुरुवार को चेन्नई पेट्रोलियम 3.6 फीसदी टूटा जबकि मंगलूर रिफाइनरी ऐंड पेट्रोकेमिकल में 3.7 फीसदी की गिरावट आई। हिंदुस्तान ऑयल एक्सप्लोरेशन का शेयर 1.8 फीसदी फिसला।
उधर, ऑयल इंडिया व ओएनजीसी में क्रमश: 1.8 फीसदी व 0.3 फीसदी की तेजी आई। एचपीसीएल व आईओसी के शेयर भी बीएसई पर 1.5 फीसदी व 0.4 फीसदी की बढ़त के साथ बंद हुए।
बीएसई सेंसेक्स व बीएसई ऑयल ऐंड गैस इंडेक्स गुरुवार को क्रमश: 0.5 फीसदी व 1.3 फीसदी की बढ़त के साथ 55,682 व 18,580.9 पर बंद हुए।
आरआईएल की जून तिमाही के नतीजे को लेकर विश्लेषक मोटे तौर पर तेजी का नजरिया बनाए हुए हैं।
ब्रोकरेज के आर चोकसी के प्रबंध निदेशक देवेन चोकसी ने कहा, अप्रैल-जून की तिमाही में ज्यादा सकल रिफाइनिंग मार्जिन दिखेगा, जिसकी वजह कच्चे तेल में आई तेजी और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण रिफाइनिंग में हुई बढ़ोतरी है।
