शेयर बाजारों में हुई हालिया गिरावट ने खुदरा निवेशकों को परेशान किया है। कुल सूचीबद्ध कंपनियों में खुदरा बाजार पूंजीकरण 18 अक्टूबर, 2021 के सेंसेक्स के अब तक के सर्वोच्च स्तर से 1.81 लाख करोड़ रुपये यानी 9 फीसदी घटा है। अगर हम देसी बाजार पूंजीकरण की बात करें तो उसमें खुदरा और देसी संस्थागत निवेशक शामिल होते हैं। इस मामले में कुल आंकड़ा 5.1 लाख करोड़ रुपये बैठता है, यानी उसमें 9.2 फीसदी की गिरावट आई है। सितंबर तिमाही से कुल 53,742 करोड़ रुपये की गिरावट आई है।
नई ऊंचाई पर सेंसेक्स के पहुंचने के बाद मूल्यांकन को लेकर चिंता, कोरोना वायरस के नए रूप ओमीक्रोन और ब्याज दरों में बढ़ोतरी को लेकर चिंता से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) अक्टूबर से लगातार बिकवाली कर रहे हैं। अक्टूबर के अपने सर्वोच्च स्तर से बेंचमार्क इंडेक्स करीब 8.8 फीसदी टूट चुका है। अक्टूबर से एफपीआई ने 36,869 करोड़ रुपये की बिकवाली की है। आखिरी सात कारोबारी सत्रों में यह गिरावट 4.2 फीसदी रही है, यह ऐसा वक्त था जब स्पष्ट हो गया कि वैश्विक केंद्रीय बैंक महंगाई पर लगाम को प्राथमिकता दे रहे हैं। खास तौर से मार्च 2020 में बाजार के निचले स्तर पर आने के बाद बाजार में उतरने वाले खुदरा निवेशकों ने इस बिकवाली का खामियाजा भुगता है। विश्लेषकों ने इस पर चिंता जताई है कि क्या खुदरा निवेशकों का नया समूह बाजार से जुड़ा रहेगा?
वेलेंटिस एडवाइजर्स के संस्थापक ज्योतिवर्धन जयपुरिया ने कहा, कुछ ऐसे निवेशक होंगे, जिन्होंने पिछले 18 महीने में बाजार में प्रवेश किया है और वे संघर्ष शुरू करते दिखेंगे। निवेशकों का एक समूह बाजार से बाहर नहींं निकलेगा और इस मौके का इस्तेमाल खरीदारी में करेंगे।
स्वतंत्र बाजार विश्लेषक अंबरीश बालिगा ने कहा, रकम गंवाने वाले खुदरा निवेशक नया निवेश बंद कर देते हैं, लेकिन बाजार से बाहर नहीं निकलते। कुछ समय बाद वे थक जाते हैं और सबकुछ बेचकर बाहर निकल जाते हैं और वापस नहींं आते। यह हर बाजार के चक्र मेंं होता है। लेकिन इस बार यह संख्या काफी बड़ी हो सकती है।
पहली बार निवेश करने वाले और नई पीढ़ी के निवेशक लॉकडाउन के बाद से बाजार में सक्रिय हो गए थे। कई निवेशक टिप्स के आधार पर हाई बीटा शेयरों में निवेश कर रहे हैं और मूल्यांकन व अन्य फंडामेंटल के मानकों को जाने बिना।
इक्विनॉमिक्स के संस्थापक जी चोकालिंगम ने कहा, कई स्मॉलकैप शेयर हैं, जिनका बहुत ज्यादा राजस्व या लाभ नहीं है, लेकिन इन शेयरोंं में कई गुना बढ़ोतरी हुई है। यह कहना गलत है कि अगर हम कम कीमत वाले शेयर खरीदते हैं और वह कई गुना चढ़ जाता है। यह कुछ हद तक तेजी के बाजार में काम करता है और खुदरा निवेशक और आक्रामक हो जाते हैं।
विश्लेषकों ने खुदरा निवेशकों की तरफ से उधारी या फंडिंग पर पोजीशन लेने पर चेतावनी दी है, खास तौर से यह रकम चवन्नी व स्मॉलकैप शेयरों में लगाने पर। चोकालिंगम ने कहा, निवेशकों को प्रबंधन की गुणवत्ता, शेयरधारकों को पुरस्कृत करने का इतिहास देखना चाहिए और यह भी देखना चाहिए कि क्या उस शेयर मेंं वैल्यू है।
विश्लेषकों ने कहा, नुकसान उठाने वाले खुदरा निवेशक आने वाले समय में अपने निवेश पर लंबी नजर डालेंगे और उसके बाद उचित फैसला लेंगे। बालिगा ने कहा, हमें प्रोफेशनल की मदद लेनी चाहिए और उन शेयरों से बाहर निकलना चाहिए जिनमें कोई उम्मीद न बची हो। साथ ही जहां भी शेयरों में बढ़त की संभावना है, उन्हें निवेशित बने रहना चाहिए।
