भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की पहल से जल्द ही 10 वर्ष की परिपक्वता अवधि वाले बॉन्ड का प्रतिफल 6.5 फीसदी होने जा रहा है। आरबीआई ने कैलेंडर वर्ष 2020 में बॉन्ड प्रतिफल को 6 फीसदी के दायरे में रखने की कोशिश की थी।
इससे निचले कॉरपोरेट फर्मों की उधारी लागत बढ़ेगी। यहां तक कि बेहतर रेटिंग वाली फर्मों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों ने हमेशा इसके जरिये रकम जुटाने की पहल की है। इससे खुदरा उधारकर्ता भी प्रभावित होंगे जिन्होंने अपने ऋण की दर को बाहरी बेंचमार्क से लिंक्ड किया है। करीब पिछले दो साल से अपनी जमा पर नकारात्मक ब्याज दर के कारण नुकसान झेल रहे बचतकर्ताओं को बॉन्ड प्रतिफल बढऩे से काफी फायदा होगा क्योंकि जमा दरों में बढ़ोतरी होगी और मुद्रास्फीति में नरमी आएगी।
हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि बाजार की परेशानी बढ़ जाएगी क्योंकि कम से कम पिछले एक साल के दौरान प्रणाली में नकदी प्रवाह की स्थिति काफी अच्छी है। आरबीआई भी बॉन्ड प्रतिफल में धीरे-धीरे वृद्धि करने के पक्ष में है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कुछ समय पहले स्पष्ट किया था कि आरबीआई प्रतिफल को उचित रफ्तार देने के पक्ष में है। इसलिए प्रतिफल धीरे-धीरे 6 फीसदी के दायरे से बढ़कर फरवरी में 6 फीसदी तक पहुंच गया। हालांकि पिछले दो महीने के दौरान वह दोबारा 6 फीसदी के दायरे में चला गया लेकिन अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में वृद्धि होने के साथ ही उसमें धीरे-धीरे सुधार होने लगा है।
मंगलवार को 10 वर्षीय बॉन्ड प्रतिफल 6.36 फीसदी पर बंद हुआ। विशेषज्ञों का मानना है कि दिसंबर के अंत अथवा जनवरी में प्रतिफल 6.5 फीसदी तक पहुंच जाना चाहिए और केंद्रीय बैंक उसे लेकर बिल्कुल सहज रहेगा।
फिलिप कैपिटल के सलाहकार (तय आय) जयदीप सेन ने कहा, ‘प्रणाली में पर्याप्त नकदी प्रवाह उपलब्ध है लेकिन लघु अवधि (3 महीने अथवा 6 मीहने की परिपक्वता अवधि वाले ट्रेजरी बिल) वाले बॉन्ड का प्रतिफल दीर्घावधि (10 वर्षीय सरकारी प्रतिभूति) वाले बॉन्ड के मुकाबले बेहतर होगा। बाजार पिछले कुछ समय से दरों की वापसी की कोशिश कर रहा है और आज हम ऐसे ही दरों की वापसी के मोर्चे पर खड़े हैं। इसका 10 वर्षीय बॉन्ड श्रेणी पर कहीं बड़ा प्रभाव दिखेगा।’
सेन ने कहा, ‘दरों के सामान्य होने में समय लगेगा और हम उम्मीद करते हैं कि 6 से 8 दिसंबर की समीक्षा बैठक में इसकी शुरुआत हो सकती है। आरबीआई का रुख अभी भी मदद करने का है और इससे बाजार में धीरे-धीरे ब्याज दरें बढ़ेंगी।’
