आरकॉम ने अपनी जीएसएम सेवा शुरू करने के बाद भले ही जनवरी में 50 लाख ग्राहकों को जोड़ लिया हो लेकिन इसके बावजूद मंगलवार को कंपनी के शेयरों की कीमत अब तक के अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई।
पिछले एक साल केदौरान आरकॉम ने दूरसंचार क्षेत्र की अग्रणी कंपनी भारती एयरटेल के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन किया है। आरकॉम के शेयरों में जहां 74 फीसदी की गिरावट आई है वहीं भारती के शेयरों की कीमतों में मात्र 25 फीसदी की ही सेंध लगी है।
इससे पहले बाजार आरकॉम के आय की गुणवत्ता और अधिक मात्रा में उधार लिए जाने को लेकर चिंतित दिखाई दे रहा था। विश्लेषकों का अनुमान है कि कंपनी के ऊपर कुल कर्ज वित्त वर्ष 2009-10 में मौजूदा 24,000 करोड रुपये से बढ़कर 40,000 करोड़ रुपये के स्तर तक जा सकता है। हालांकि कंपनी पूंजी से जुड़े खर्चों पर मात्र 15,000 करोड रुपये खर्च करने की योजना बना रही है।
ऊंची ब्याज दरों और डेप्रीसिएशन खर्च के अधिक रहने के कारण कंपनी काशुध्द मुनाफा इस साल घटकर 6,000 करोड रुपये जबकि वित्त वर्ष 2009-10 में घटकर 4,000 करोड रुपये के स्तर पर आ सकता है।
भारतीय दूर संचार नियामक (टीआरएआई) के ताजा आंकडों के अनुसार दिसंबर 2008 की तिमाही में आरकॉम के राजस्व में 50 आधार अंकों की गिरावट आई है और यह 16.7 फीसदी के स्तर पर आ गया है।
चूंकि आरकॉम के बाजार में ग्राहकों की संख्या में मात्र 10 आधार अकों की गिरावट आई है, इसका अर्थ यह निकलता है कि आरकॉम के इन्क्रीमेंटल सीडीएमए सब्सक्राइबरों की गुणवत्ता उतनी अच्छी नहीं थी।
दूसरी तरफ भारती एयरटेल के राजस्व में क्रमागत आधार पर 100 आधार अंकों की बढ़ोतरी के साथ 30 फीसदी रही जबकि इसके बाजार में ग्राहकों की संख्या में तिमाही-दर-तिमाही के आधार पर 10 आधार अंको की बढ़ोतरी के साथ 24.7 फीसदी रही।
हालांकि बाजार ग्राहकों की संख्या की बजाय मुनाफे पर नजर रखेगा, इस लिहाज से आरकॉम को जीएसएम सेवा को सही रणनीति के तहत आगे ले जाने की जरूरत होगी। जीएसएम को बाजार में उतारते वक्त कंपनी ने ग्राहकों को मुफ्त में बात करने के लिए काफी मिनट उपलब्ध कराए लेकिन अंतत: ग्राहकों को सेवा के लिए ज्यादा भुगतान करने की जरूरत है ताकि एआरपीयू की स्थिति सुधर सके।
तेल उत्पादक: बेहतर प्रदर्शन
पिछले एक सालों के दौरान ओएनजीसी का प्रदर्शन सेंसेक्स की तुलना में बेहतर रहा है। सेंसेक्स में जहां पिछले एक साल के दौरान 50 फीसदी से भी ज्यादा की गिरावट आई है वहीं इसकी तुलना में ओएनजीसी के शेयरों में मात्र 34 फीसदी की गिरावट आई है।
इसके अलावा एक और तेल उत्पादक कंपनी केयर्न इंडिया का प्रदर्शन भी सेंसेक्स की तुलना में बेहतर रहा है, यद्यपि कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से गिरावट आई है लेकिन इसके बाद भी विश्लेषकों का मानना है कि अगले साल भी इन दोनों कंपनियों के शेयरों में बढ़ोतरी हो सकती है। ओएनजीसी के शेयरों में भी 30 फीसदी तक की तेजी आने का अनुमान है।
विश्लेषकों का कहना है कि राजस्थान में हुई हाल की खोज के बाद केयर्न के शेयरों में मौजूदा 159 रुपये के स्तर में 45 फीसदी तक की तेजी आ सकती है। अब जबकि कच्चे तेल की कीमतें 147 डॉलर प्रति डॉलर के स्तर से घटकर 45 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर आ गई है, अगर यह बात स्पष्ट होती कि तेल के खुदरा कारोबारियों को मदद पहुंचाने के लिए ओएनजीसी को कितने रुपये अलग से रख्ने की जरूरत होगी तो विश्लेषकों ने कंपनी के लिए अधिक का लक्ष्य निर्धारित किया होता।
कंपनी वित्त वर्ष 2007-08 की अपेक्षा इस साल अब तक 27,000 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुकी है। दिसंबर 2008 की तिमाही में कंपनी का रियलाइजेशन 34 रुपये प्रति बैरल रहा जो वित्त वर्ष 2008-09 की पहली छमाही के 58 डॉल प्रति बैरल के स्तर से कम ही रहा।
सीएलएसए का मानना है कि सब्सिडी के बाद शुध्द रियलाइजेशन वित्त वर्ष 2008-09 में 47 प्रति डॉलर रह सकता है और यह अगले साल बढ़ कर 52 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक आ सकता है। कुछ खर्चीले अधिग्रहण और परियोजनाओं पर काम शुरू होने में देरी के कारण, ऐसा लगता है कि कीमतों पर असर पडा है।
केयर्न इंडिया के कारोबार में बढ़ोतरी हो सकती है क्योंकि अगले कुछ सालों में राजस्थान के बाड़मेर में प्रति दिन 205 किलो बैरल का उत्पादन होने की संभावना है। वर्ष 2009 की समाप्ति तक कंपनी प्रति दिन 80 किलो प्रति बैरल होना चाहिए। पिछले साल केयर्न का राजस्व 24 फीसदी की बढोतरी के साथ 1,251 करोड़ डॉलर रहा जबकि इसका शुध्द मुनाफा 758 करोड़ रुपये रहा।
