अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल के बयान से भारतीय शेयर बाजार पर खास असर पडऩे की आशंका नहीं है और न ही इससे विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का प्रवाह प्रभावित होगा क्योंकि पॉवेल ने सतर्क रुख रखने की बात कही है।
भारत सहित दुनिया भर के बाजार के भागीदार आश्वस्त थे कि फेडरल रिजर्व के चेयरमैन समायोजन वाली नीतियों को जल्दबाजी में वापस नहीं लेंगे। लेकिन अमेरिका में रोजगार बाजार में सुधार और मुद्रास्फीति के 2 फीसदी के लक्ष्य से ऊपर निकलने से दरों में बढ़ोतरी की आशंका जताई जा रही थी। हालांकि पॉवेल ने अपने भाषण और बाद में संवाददाता सम्मेलन में बाजार को आश्वस्त किया कि दरों में किसी तरह की बढ़ोतरी 120 अरब डॉलर के बॉन्ड खरीद कार्यक्रम को धीरे-धीरे घटाने के बाद ही की जाएगी। फेड ने कहा कि मुद्रास्फीति उसके सहज दायरे में ही है और मध्यम अवधि में इसमें कमी आ सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक ने भी मौद्रिक नीति और मुद्रास्फीति को लेकर ऐसा ही रुख जाहिर किया था।
अवेंडस कैपिटल पब्लिक मार्केट्स अल्टरनेट स्ट्रैटजीज के मुख्य कार्याधिकारी एंड्रयू हॉलैंड ने कहा, ‘आप हर महीने 120 अरब डॉलर के बॉन्ड खरीद रहे हैं और अगर इसमें 10 से 15 अरब डॉलर कम भी कर दें तब भी बाजार में काफी मात्रा में पैसा आएगा।’
उन्होंने कहा, ‘फेड चेयरमैन के भाषण का भारत में विदेशी निवेश पर मामूली असर होगा। इसके उलट अगर कोविड की स्थिति नियंत्रण में आ जाती है और कंपनियों की आय मजबूत बनी रहती है तो संभव है कि निवेश में तेजी आ जाए। ‘
विशेषज्ञों ने कहा कि फेडरल रिजर्व सहित अधिकांश केंद्रीय बैंकों ने समान रुख को अपनाया है और वृद्घि को बढ़ावा देने के लिए नरम मौद्रिक नीति को जारी रखे हुए है। बैंक ऑफ अमेरिका के ट्रेजरी प्रमुख जयेश मेहता ने कहा, ‘कोविड की अनिश्चितता बरकरार रहने की वजह से दुनिया भर के केंद्रीय बैंक नीतियों में नरमी बनाए हुए हैं।
वे सतर्क हैं और ऐसा कोई कदम नहीं उठाएंगे जिससे वित्तीय अस्थिरता पैदा हो।’ घरेलू बॉन्ड का प्रतिफल शुक्रवार को 6.26 फीसदी पर बंद हुआ था और बाजार खुलने पर यह अमेरिकी बॉन्ड से संकेत ले सकता है। पॉवेल के भाषण के बाद 10 वर्षीय अमेरिकी बॉन्ड का प्रतिफल थोड़ा नरम होकर 1.33 फीसदी पर आ गया था। यह भी इक्विटी और मुद्रा बाजार के लिहाज से सकारात्मक संकेत है।
जुलाई में विदेशी निवेशकों की ओर से भारी बिकवाली के बाद अगस्त में अब तक 986 करोड़ रुपये की उन्होंने लिवाली की है। हालांकि बाजार विशेषज्ञों को संशय है कि बाजार का मूल्यांकन बढ़ाने के बाद भी विदेशी निवेश बड़ी मात्रा में ताजा निवेश करेंगे या नहीं।
पॉवेल के बयान से पहले शुक्रवार को सेंसेक्स 56,124.72 अंक के सर्वकालिक उच्च स्तर पर बंद हुआ था। निफ्टी भी 16,705 पर बंद हुआ। विशेषज्ञों ने कहा कि इस हफ्ते सकल घरेलू उत्पाद के पहली तिमाही के आंकड़े और विनिर्माण पीएमआई के आंकड़े आएंगे जिससे बाजार की दिशा मिल सकती है। इसके साथ ही जिंसों की कीमतें,, टीकाकरण की स्थिति और जीएसटी संग्रह के आंकड़ों तथा मॉनसून की प्रगति पर भी निवेशकों की निगाहें रहेंगी। विशेषज्ञों ने कहा कि निफ्टी 16,700 से 17,000 तक पहुंच सकता है। इसे 16,300 से 16,100 के स्तर पर सपोर्ट मिल सकता है। आरबीआई के रुख से शुक्रवार को रुपये में भी मजबूती आई थी।