बीएसई सेंसेक्स ने शुक्रवार को इतिहास रच दिया क्योंंकि इसने पहली बार 60,000 का स्तर पार किया और कारोबार सत्र की समाप्ति 60,048.47 पर की। 10,000 अंकों का सफर सेंसेक्स ने महज 91 कारोबारी सत्रों में पूरा किया। सेंसेक्स ने 18 मई को पहली बार 50,000 अंकों का स्तर छुआ था।
महंगे मूल्यांकन और चीन के घटनाक्रम के कारण सतर्क वैश्विक मिजाज और कोविड महामारी की तीसरी लहर की संभावना से आगामी दिनों में थोड़ी मुनाफावसूली हो सकती है लेकिन ज्यादातर विश्लेषक आशावादी बने हुए हैं और उनका सुझाव है कि अगर बाजार में गिरावट आती है तो इसका इस्तेमाल मध्यम से लंबी अवधि के लिए खरीदारी मेंं करना चाहिए।
वेलेंंटिस एडवाइजर्स के संस्थापक और प्रबंध निदेशक ज्योतिवर्धन जयपुरिया ने कहा, अगले कुछ वर्षों मेंं हम बाजार से 12-15 फीसदी चक्रवृद्धि रिटर्न हासिल कर सकते हैं। मुख्य सूचकांक अगले पांच साल में मौजूदा स्तर से दोगुने हो सकते है। 10 से 15 फीसदी की गिरावट अल्पावधि में इंडेक्स के स्तर पर हो सकती है लेकिन इस तरह की यात्रा में ऐसी गिरावट होती ही है। पिछले 20 वर्षों में सिर्फ दो कैलेंडर वर्ष में 10 फीसदी गिरावट नहीं हुई। बुद्धिमत्तापूर्ण रणनीति गिरावट में खरीदारी की होगी, न कि बढ़त में शेयर बेचने की।
साल 2021 में अब तक एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स 25 फीसदी से ज्यादा चढ़ा है। सेंसेक्स के शेयरों में बजाज फिनसर्व, टाटा स्टील, भारतीय स्टेट बैंक और टेक महिंद्रा बढ़त के मामले में सबसे आगे रही हैं और इनमें 56 फीसदी से लेकर 108 फीसदी तक की उछाल आई है। यह जानकारी ऐस इक्विटी के आंकड़ों से मिली।
काफी बढ़त के बावजूद जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के वरिष्ठ उपाध्यक्ष गौरांग शाह को लग रहा है कि बाजार में गिरावट आएगी, लेकिन यह अल्पावधि वाली होगी। उन्होंने कहा, उच्च जोखिम वाले निवेशकों को निवेशित रहना चाहिए, वहीं कम जोखिम उठाने वाले निवेशकों को मुनाफावसूली पर विचार करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि बाजार का रिटर्न ध्रुवीकृत हो सकता है और परिचालन व वित्तीय लिहाज से बेहतर कंपनियों के शेयरों को एक्सचेंजों पर पुरस्कार मिल सकता है। उन्होंने कहा, सेंसेक्स का 60,000 के स्तर को छूना भारतीय बाजारों में मजबूत तेजी की शुरुआत है। लोगों को यह वास्तविकता स्वीकार करनी चाहिए कि भारत में शेयरों पर उच्च रिटर्न अब संभव है। चीन के घटनाक्रम का असर पहले ही समाहित हो चुका है। परिसंपत्ति आवंटन जोखिम उठाने की क्षमता, निवेश की अवधि और रिटर्न के अनुमान पर निर्भर करेगा। कुछ भी खरीदने से रिटर्न नहीं मिलेगा।
बीएसई मेटल और बीएसई रियल्टी इस साल सबसे ज्यादा क्रमश: 75 फीसदी व 59 फीसदी चढ़ा है। दूसरी ओर ऑटो, बैंंक व हेल्थकेयर इंडेक्स में 12 से 23 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई है। ऐस इक्विटी के आंकड़ोंं से यह जानकारी मिली।
जूलियस बेयर के इक्विटी प्रमुख रूपेन राजगुरु का मानना है कि अल्पावधि के लिहाज से बाजार में उतारचढ़ाव बना रहेगा क्योंकि भागीदार भारतीय कंपनी जगत के सितंबर तिमाही के नतीजे का अध्ययन करेंगे। साथ ही केंद्रीय बैंक की नीतियोंं व अन्य घटनाक्रम पर भी उनकी नजर रहेगी। दो से तीन साल के नजरिये से वह भारतीय इक्विटी पर सकारात्मक बने हुए हैंं क्योंकि अर्थव्यवस्था में सुधार होगा और कंपनियों की आय उम्मीद से बेहतर रह सकती है। राजगुरु ने कहा, कुछ शेयरों के उच्च मूल्यांकन को देखते हुए इस मौके का इस्तेमाल निवेशकोंं को अपने पोर्टफोलियो को दोबारा संतुलित करने में करना चाहिए।
