घरेलू दवा उद्योग के लिए वैश्विक महामारी की मार अब थमने लगी है। यही कारण है कि पिछले तीन महीनों के दौरान घरेलू दवा उद्योग अपनी वृद्धि रफ्तार को बरकरार रखने में सफल रहा। अक्टूबर में भारतीय औषधि बाजार ने 9.6 फीसदी की मजबूत वृद्धि दर्ज की गई। जबकि सितंबर में 4.5 फीसदी और अगस्त में 2.2 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई थी।
बाजार अनुसंधान फर्म एआईओसीडी अवाक्स के आंकड़ों से पता चलता है कि गंभीर उपचार श्रेणी का अक्टूबर के दौरान अच्छा प्रदर्शन करना जारी रहा जबकि श्वसन (अभी भी नकारात्मक वृद्धि में) जैसी कुछ अन्य उपचार श्रेणियों में सुधार दर्ज की गई।
एआईओसीडी अवाक्स के अध्यक्ष राकेश दवे ने कहा कि पिछले साल अक्टूबर दिवाली का महीना था और इसलिए आधार कम था। आमतौर दीवाली सप्ताह के दौरान दवाओं की बिक्री बढ़ जाती है। दिवाली से ठीक पहले दवाओं की स्टॉकिंग भी शुरू हो जाती है जो इस त्योहार से पहले मात्रात्मक बिक्री को रफ्तार देती है। इस साल दिवाली नवंबर में है और इस महीने के बिक्री आंकड़े आने के बाद ही घरेलू बाजार में मांग की तस्वीर अधिक साफ हो पाएगी।
दवे ने यह भी कहा कि औषधि उद्योग ने डिजिटल मार्केटिंग के साथ नए व्यापार मॉडल को तेजी से अपनाया है। इससे बिक्री को रफ्तार देने में मदद मिली। दवा कंपनियों की विपणन लागत में गिरावट दर्ज की गई है जिसे सम्मेलन और यात्रा पर होने वाले खर्च में कमी से बल मिला। हालांकि कंपनियों को आगामी तिमाहियों के दौरान खर्च बढऩे की आशंका है।
सिप्ला के वैश्विक मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) केदार उपाध्याय ने कहा कि लॉकडाउन में ढील और क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों की आवाजाही बढऩे के कारण खर्च में वृद्धि होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि यह बिक्री में वृद्धि के अनुरूप होगा। विभिन्न चिकित्सा श्रेणियों के बीच अक्टूबर में हृदयरोग की दवा श्रेणी में मासिक वृद्धि 19.5 फीसदी रही जो पिछले महीने की 17.1 रही थी। इसी प्रकार मधुमेहरोधी दवा श्रेणी में अक्टूबर के दौरान 9.7 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई जबकि सितंबर में यह आंकड़ा 6.5 फीसदी रहा था।
यहां तक ??कि श्वसन जैसी चिकित्सा श्रेणी (अभी भी नकारात्मक दायरे में) में भी सुधार के संकेत दिखे हैं। सितंबर में इस श्रेणी में -10.5 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई थी जबकि अक्टूबर में यह आंकड़ा -6.6 फीसदी रहा। इसी प्रकार संक्रमणरोधी दवा श्रेणी एंटीबायोटिक की बिक्री में कमी के बाद से ही चुनौतियों से जूझ रही थी लेकिन अक्टूबर में इस श्रेणी में 6.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
पेट की बीमारी संबंधी पर्चे वाली दवाओं की बिक्री भी बढ़ी है। अक्टूबर में इस श्रेणी में 13.6 फीसदी की वृद्धि हुई जबकि सितंबर में 5.5 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई थी। विटामिन श्रेणी ने दो अंकों की दमदार वृद्धि के साथ अपनी रफ्तार बरकरार रही और अक्टूबर में 22.6 फीसदी की वृद्धि दर्ज की। दवे ने कहा कि सर्दियों में श्वसन संबंधी और संक्रमणरोधी दवाओं की बिक्री बढऩे की संभावना है।
