चीन और हॉन्ग-कॉन्ग से भारत में होने वाला प्राइवेट इक्विटी/वेंचर कैपिटल (पीई-वीसी) निवेश कैलेंडर वर्ष 2020 एक साल पहले के मुकाबले काफी ज्यादा घटा है। इन दोनों इलाकों से निवेश संयुक्त रूप से कैलेंडर वर्ष 2020 में 72 फीसदी घटकर 95.2 करोड़ डॉलर रह गया, जो साल 2019 में 3.4 अरब डॉलर रहा था। चीन से होने वाला निवेश इस अवधि में 64 फीसदी घटकर 37.7 करोड़ डॉलर रह गया जबकि हॉन्ग-कॉन्ग से निवेश 75 फीसदी घटकर 57.5 करोड़ डॉलर रह गया। लॉ फर्म खेतान ऐंड कंपनी के मुताबिक, चीन की इकाइयों के 150 से ज्यादा आवेदन अप्रैल में एफडीआई निवेश के लिए जारी प्रेस नोट 3 जारी होने के बाद से लंबित हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि प्रेस नोट 3 के नियम और लाभार्थी स्वामित्व को लेकर स्पष्टता का अभाव चीन और हॉन्ग-कॉन्ग से निवेश में गिरावट की प्राथमिक वजह है। प्रेस नोट 3 खास तौर से स्टार्टअप पर असर पड़ा क्योंंकि ये चीन व हॉन्ग-कॉन्ग के नकदी संपन्न निवेशकों के फंड से वंचित हो गए।
प्रेस नोट 3 का दिशानिर्देश बताता है कि भारत की सीमा साझा करने वाले देश की इकाई या भारत में निवेश करने वाला लाभार्थी स्वामित्व वहां हो या निवेश करने वाला नागरिक ऐसे देश का है तो वह सिर्फ सरकारी मार्ग से ही निवेश कर सकता है। यह नोट हालांकि लाभार्थी स्वामी को पारिभाषित नहींं करता। अधिकृत डीलर बैंक भारत आने वाले एफडीआई की खातिर लाभार्थी स्वामी तय करने के लिए अलग-अलग सीमा का आवेदन कर रहे हैं जो 25 फीसदी से 10 फीसदी और यहां तक कि एक फीसदी तक के लिए यह हो रहा है।
खेतान ऐंड कंपनी के पार्टनर विवेक श्रीराम ने कहा, इस नियम की भाषा काफी व्यापक है और इस पर मौन है कि लाभार्थी स्वामित्व में क्या आता है। ऐसे में पक्षकारों के लिए काफी कम लचीला रुख उपलब्ध है जिस पर वे एफडीआई मार्ग के जरिए स्वीकृत अन्य वैकल्पिक ढांचे पर विचार कर सके। ऐसे में इन इलाकों से किसी तरह के निवेश के मामले में काफी कम गुंजाइश छोड़ता है। चीन, ताइवान, हॉन्ग-कॉन्ग व मकाऊ के निवेश में लाभार्थी स्वामित्व को सरकार की पूर्व अनुमति की दरकार होगी, चाहे निवेश का प्रतिशत कुछ भी हो। इन इलाकों के सभी आवेदनों को गृह मंत्रालय की अनिवार्य सुरक्षा जांच से भी गुजरना होगा।
पिछले कुछ वर्षों में तकनीक व इंटरनेट कारोबार जैसे क्षेत्र चीन से होने वाले पीई-बीसी निवेश के मुख्य लाभार्थी रहे हैं। वित्त व फार्मा जैसे क्षेत्र में भी चीन की काफी दिलचस्पी नजर आई है। श्रीराम ने कहा, भारतीय एफडीआई में चीन का अहम योगदान रहा है और उद्योग की कंपनियों को उम्मीद है कि सरकार जलल्द ही लाभाथी स्वामित्व तय करने वाली सीमा पर जल्द ही स्पष्टीकरण जारी करेगी। यह चीन की इकाइयों को अपने निवेश पर और स्पष्टता मुहैया कराएगा। प्रेस नोट 3 से पहले पाकिस्तान और बांग्लादेश की इकाइयों के एफडीआई के लिए सरकार की पूर्व मंजूरी की दरकार होती थी।
