पेटीएम की सूचीबद्धता पर हुए नुकसान का असर अन्य स्टार्टअप व नई पीढ़ी की कंपनियों के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम पर नहीं पड़ेगा, जो अपनी-अपनी श्रेणी की अगुआ है और उसका कारोबारी मॉडल अद्भुत है। यह कहना है प्राइवेट इक्विटी प्रमुखों, बैंकरों और वेंचर कैपिटलिस्टोंं का।
डेलिवरी और मोबिक्विक समेत कई अन्य स्टार्टअप आईपीओ लाने जा रही हैं और उम्मीद की जा रही है कि वे एंकर निवेशकों व खुदरा निवेशकों से रकम जुटाएंगी।
सूचीबद्धता के समय से पेटीएम का शेयर 40 फीसदी तक टूट गया, हालांकि पिछले दो दिन उसमें कुछ सुधार देखा गया है। मंगलवार और बुधवार को पेटीएम का शेयर करीब 10-10 फीसदी चढ़ा।
वेंचर कैपिटल फर्म आयरन पिलर के मैनेजिंग पार्टनर आनंद प्रसन्ना ने कहा, पेटीएम का आईपीओ संकट का वास्ता आईपीओ की कीमत को लेकर ज्यादा है और किसी स्टार्टअप के लिए काफी बड़ा कारोबार खड़ा करने के मौके का इससे कम वास्ता है। साथ ही कीमत व वैल्यू का समीकरण निवेशकों की मनोदशा बदलता है और वे काफी कम दिन ट्रेडिंग करते हैं। भारत में बड़े बाजार के मौके और कई तकनीकी कंपनियों के मजबूत प्रदर्शन को देखते हुए हमें नहींं लगता कि एक घटनाक्रम मूल्यांकन पर बहुत ज्यादा असर डालेगा।
बैंकरों ने कहा कि यह काफी गलत होगा अगर सभी आईपीओ को इसी तरह से देखा जाएगा। एडलवाइस फाइनैशियल सर्विसेज के एमडी गोपाल अग्रवाल ने कहा, भारत की व्यवस्था काफी अच्छी है और अच्छी कंपनियों के शेयरों की बेहतर मांग होगी। हाल के दो आईपीओ में आवेदन की संख्या बताती है कि शेयरों की भारी मांग है और निवेशकों की निवेश की इच्छा भी बेहतर है।
इन्वेस्टमेंट फर्म के एक अधिकारी ने कहा कि पेटीएम के घटनाक्रम का असर भविष्य में उतरने वाले अन्य स्टार्टअप के आईपीओ पर नहीं पडऩे जा रहा क्योंकि पेटीएम का कमजोर प्रदर्शन सिर्फ एक कंपनी को प्रतिबिंबित करता है, जिसने बेहतर नहींं किया लेकिन बाकी आईपीओ मसलन जोमैटो व अन्य ने काफी बेहतर प्रदर्शन किया।
