घरेलू शेयरों में दिख रही तेजी के चलते म्युचुअल फंड (एमएफ) कंपनियों को नए फंड ऑफर (एनएफओ) के जरिये रिकॉर्ड रकम जुटाने में मदद मिली है। जुलाई में आईसीआईसीआई प्रुडेंशियल फ्लेक्सीकैप ने 9,808 करोड़ रुपये जुटाए जो सक्रिय प्रबंधन की इक्विटी योजना द्वारा जुटाई गई सबसे ज्यादा रकम है। एकमहीने बाद ही इस रिकॉर्ड को एसबीआई बैलेंस्ड एडवांटेज फंड ने तोड़ा, जिसने 14,551 करोड़ रुपये जुटाए।
अब ऐसे में सवाल यह है कि देश की सबसे बड़ी म्युचुअल फंड कंपनी ने सक्रिय रूप से प्रबंधित योजना द्वारा सबसे अधिक एनएफओ संग्रह के रिकॉर्ड को लगभग 50 प्रतिशत तक बनाने के लिए प्रबंधन कैसे किया? निश्चित तौर पर छोटे शहरों से योगदान, औसत आकार में वृद्धि के साथ-साथ वितरकों की कोशिश भी अहम कही जा सकती है।
एसबीआई बैलेंस्ड एडवांटेज फंड एनएफओ में 400,000 निवेशक आवेदन आए। उद्योग के खिलाडिय़ों ने कहा कि आमतौर पर, मध्यम आकार की म्युचुअल फंड कंपनियों को लगभग 15,000-20,000 आवेदन मिलते हैं जबकि बड़ी फंड कंपनियों को एनएफओ से लगभग 50,000 आवेदन मिलते हैं।
एसबीआई म्युचुअल फंड के मुख्य कारोबार अधिकारी डी पी सिंह ने कहा कि एनएफओ में अब तक के सर्वश्रेष्ठ संग्रह में कस्बाई इलाकों और ग्रामीण क्षेत्रों से मजबूत समर्थन मिला है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के विशाल शाखा नेटवर्क की वजह से एसबीआई म्युचुअल फंड की पहुंच व्यापक स्तर पर ग्राहकों तक हुई। फंड कंपनियों को वितरकों और ऑनलाइन पोर्टल्स जैसे अन्य भागीदारों से भी उत्साहजनक भागीदारी देखने को मिली। विशेषज्ञों के अनुसार फंड हाउस की संवाद प्रक्रिया से भी निवेशकों का आकर्षण बढ़ा। देश भर के भारतीय निवेशकों में अपील के लिए नौ से अधिक भाषाओं में निवेशकों के बीच योजना से जुड़ी संचार सामग्री, योजना का प्रेजेंटेशन देने के साथ-साथ फंड मैनेजरों के साक्षात्कार से भी वाकिफ कराया गया।
आमतौर पर, फंड हाउस केवल प्रमुख आठ शहरों पर अपना ध्यान केंद्रित करते हैं क्योंकि ये शहर एनएफओ संग्रह में 60 प्रतिशत और 70 प्रतिशत के बीच योगदान देते हैं। एसबीआई बैलेंस्ड एडवांटेज फंड में केवल प्रमुख शहरों से केवल 35 फीसदी ही योगदान मिलता है बाकी निवेश इन आठ शहरों से इतर होता है।
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि म्युचुअल फंड उद्योग की गहरी पैठ मुंबई, दिल्ली, बेंगलूरु, पुणे, कोलकाता और अहमदाबाद जैसे शहरी केंद्रों में है। इससे इतर 30 शहरों (बी-30) की हिस्सेदारी अब भी कम है। जुलाई के अंत तक 35.3 लाख करोड़ रुपये की कुल प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियों (एयूएम) में से 6.1 लाख करोड़ रुपये बी-30 शहरों के थे। उद्योग के कुल एयूएम में बी-30 शहरों की हिस्सेदारी पिछले चार वर्षों में सिर्फ 15-17 प्रतिशत के करीब रही है।