ऐसे समय में जब 69 वेंचर कैपिटल फंड (वीसी फंड) भारतीय प्रतिभूति एवं नियामक बोर्ड (सेबी) की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं कई ऐसे प्राइवेट इक्विटी और वीसी फंड हैं जो काफी समय पहले बाजार नियामक के साथ पंजीकृत होकर सुस्त बैठे हुए हैं।
कई ऐसे फंड जैसे लैब्राडोराइट फाइनैंस, रेनॉयर ऐंड सॉन्ग इन्वेस्टमेंट ने पिछले चार वर्षों में कही कोई निवेश नहीं किया है। विशेषज्ञों ने कहा कि सेबी से पंजीकृत फंडों में से एक तिहाई वर्तमान में अक्रिय पड़े हुए हैं।
इनमें केवल विदेशी वेंचर कैपिअल फंड ही नहीं हैं। घरेलू वीसी फंडों में सौरभ वेंचर कैपिटल और स्पाइस कैपिटल फंड ऐसे हैं जिन्होंने हाल में कोई सौदा नहीं किया है। घरेलू वेंचर कैपिटल का रास्ता सेबी द्वारा इसलिए खोला गया था ताकि छोटे और मझोले कंपनियों और शुरुआती कारोबार को बढ़ाने में मदद पहुंचायी जा सके। हालांकि, यह उद्देश्य अभी भी पूरा नहीं हुआ है क्योंकि आधे से अधिक वीसी फंड सक्रिय निवेशक नहीं हैं।
वर्तमान में सेबी से पंजीकृत 132 घरेलू और 129 विदेशी वेंचर कैपिटल फंड हैं। इनमें से कुछ ही सक्रिय निवेशक हैं। सरकार-प्रायोजित कई वेंचर फंड्स जैसे केरल वेंचर कैपिटल फंड और उड़ीसा वेंचर कैपिटल फंड या तो निष्क्रिय पड़े हैं या वैसे सौदे करते हैं जो आकार में महत्वपूर्ण नहीं हैं।
निजी प्राइवेट इक्विटी फंड के साथ काम करने वाले कॉर्पोरेट वकील कहते हैं कि पंजीकृत विदेशी या घरेलू वेंचर कैपिटल फंडों को कई सुविधाएं उपलब्ध हैं। पहला यह कि वेंचर कैपिटल आयकर प्राधिकरण द्वारा सुझाए गए 9 श्रेणियों में सीधे तौर पर निवेश कर सकते हैं।
दूसरा, उन्हें क्यूआईबी का दर्जा मिलता है जिसका मतलब है कि वे तरजीही आवंटनों और कंपनियों के शेयरों की आरंभिक बिक्री में हिस्सा ले सकते हैं। पंजीकृत विदेशी वेंचर कैपिटल फंडों को कीमत निर्धारण में लचीलेपन का लाभ मिलता है।
अगर कोई विदेशी इकाई कंपनी के शेयर खरीदना चाहती है तो उसे आरबीआई द्वारा निर्धारित न्यूनतम कीमतों के अनुसार चलनापड़ेगा जबकि पंजीकृत विदेशी वेंचर कैपिटल फंड कंपनी से कीमतों पर बातचीत के लिए स्वतंत्र हैं।
निकासी के समय जब फंड द्वारा प्रवर्तकों को शेयरों का अंतरण किया जाता है तो टेकओवर कोड की छूट विदेशी वेंचर फंडों को दी जाती है। ऐसे मामलों में प्रवर्तकों को खुली पेशकश लाने की जरूरत नहीं पड़ती है।
केपीएमजी के कार्यकारी निदेशक-एडवाइजरी अबिजर दीवानजी ने कहा, ‘कुछ फंड यहां पंजीकृत हैं लेकिन संभव है कि उनके पास निवेश के लिए पर्याप्त पूंजी न हो। कुछ मामलों में, उन्होंने हाल ही में सेबी की पात्रता पूरी की है और फंड जुटाने में या उसके बाद परिसंपत्ति प्रबंधकों को नियुक्त करने में सक्षम नहीं रहे हैं।’
वेंचर इंटेलिजेंस के अनुसार, साल 2008 के शीर्ष पीई निवेशकों में 18 सौदों को अंजाम देने वाला सिकोइया कैपिटल और उसके बाद आईएफसी, आईसीआईसीआई वेंचर, नालंदा कैपिटल और एनईए-इंडो यूएस वेंचर्स शामिल हैं। इसके अतिरिक्त कुछ बड़े प्राइवेट इक्विटी फंड जैसे केकेआर, ब्लैकस्टोन और प्रोविडेंस हैं जिन्होंने साल में ऐ या दो सौदे किए हैं।
