डेरिवेटिव अनुबंधों की ट्रेडिंग के लिहाज से नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) लगातार तीसरे साल दुनिया के सबसे बड़े एक्सचेंज के तौर पर उभरा है। साल 2021 में एनएसई पर 17.3 अरब डेरिवेटिव अनुबंधों की ट्रेडिंग हुई, जो साल 2020 में हुई 8.9 अरब अनुबंधों की ट्रेडिंग के मुकाबले करीब दोगुनी है।
देश का सबसे बड़ा एक्सचेंज अमेरिका के सीएमई समूह और ब्राजील के बी3 से आगे रहा, जिनके वॉल्यूम क्रमश: 11.3 अरब व 9.3 अरब अनुबंध रहे। उद्योग निकाय वल्र्ड फेडरेशन ऑफ एक्सचेंजेज के आंकड़ों से यह जानकारी मिली।
तकनीकी तौर पर अमेरिका मेंं हुई डेरिवेटिव अनुबंधों की ट्रेडिंग की संख्या काफी ज्यादा है, हालांकि नकदी अलग-अलग जगह हुई ट्रेडिंग सलन सीएसई ग्रुप, नैसडेक और सीबीओई ग्रुप में बंटी रही। इसके बावजूद एनएसई का प्रदर्शन अहम है क्योंकि भारत का बाजार पूंजीकरण 3.75 लाख करोड़ डॉलर है, जो दुनिया के सबसे बड़े शेयर बाजार के बाजार पूंजीकरण 52 लाख करोड़ डॉलर का एक छोटा हिस्सा है। साथ ही भारतीय अधिकारियों ने डेरिवेटिव ट्रेडिंग को लेकर संकीर्ण नजरिया अपनाया क्योंकि काफी लोग इसमें अत्यधिक सटोरिया गतिविधि देखते हैं।
एनएसई के प्रबंध निदेशक व सीईओ विक्रम लिमये के हवाले से विज्ञप्ति में कहा गया है, यह हमारे लिए व हमारे देश के लिए गर्व का समय है कि एनएसई वैश्विक लीडर के तौर पर उभरा है और लगातार तीसरे साल दुनिया भर में सबसे बड़े डेरिवेटिव एक्सचेंज को तौर पर कामयाबी पाई है। हम भारत सरकार, आरबीआई, ट्रेडिंग व क्लियरिंग मेंबर, बाजार के भागीदारों और अपने सभी हितधारकों के आभारी हैं, जिन्होंने वर्षों से हमें सहयोग दिया है।
कई लोग नकदी बाजार के कारोबार के सापेक्ष एनसई के उच्च डेरिवेटिव कारोबार को मंजूर नहीं कर रहे। हालांकि एक्सचेंज ने कहा कि यह अनुपात घट रहा है क्योंंकि नकदी वॉल्यूम काफी तेज गति से बढ़ रहा है। एक्सचेंज ने कहा, पिछले 10 वर्षों में इक्विटी डेरिवेटिव का सालाना औसत कारोबार 4.2 गुना बढ़कर साल 2011 के 33,305 करोड़ रुपये के मुकाबले 2021 में 1,41,267 करोड़ रुपये पर पहुंचा। इस अवधि में नकदी बाजार का औसत रोजाना कारोबार 6.2 गुना बढ़कर साल 2011 के 11,187 करोड़ रुपये के मुकाबले 2021 में 69,644 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इक्विटी डेरिवेटिव व नकदी बाजार का टर्नओवर अनुपात लगातार घट रहा है औ्र यह साल 2011 के 2.98 फीसदी से घटकर साल 2021 में 2.03 रह गया।
एनएसई शोध का हवाला दे रहा है, जो बताता है कि मजबूत डेरिवेटिव बाजार नकदी सुधारने मेंं मदद करता है और नकदी बाजार के लिए प्राइस डिस्कवरी में इजाफा करता है। जब बात नकदी सेगमेंट की आती है तो एनएसई साल 2021 में ट्रेडिंग की संख्या के लिहाज से दुनिया का चौथा सबसे बड़ा एक्सचेंज रहा।
बाजार के भागीदारोंं ने कहा कि भारत का कर ढांचा और ट्रेडिंग पर मार्जिन की दरकार अन्य वैश्विक मानकों के मुकाबले काफी ऊंचा है, जिसका ट्रेडिंग वॉल्यूम पर असर होता है। एनएसई का सबसे कामयाब डेरिवेटिव पेशकश बैंक निफ्टी और निफ्टी-50 इंडेक्स रहा है, जिसने वैयक्तिक प्रॉडक्ट के स्तर पर वैश्विक स्तर पर सबसे ज्यादा वॉल्यूम सृजित किया है।
