बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की पूर्व प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी चित्रा रामकृष्ण के खिलाफ आदेश जारी किया है, जिसके बाद एक्सचेंज अपनी साख बचाने में जुट गया है।
सूत्रों ने बताया कि एक्सचेंज का प्रबंधन पिछले एक हफ्ते के दौरान कई प्रमुख हितधारकों के साथ मुलाकात कर चुका है, जिनमें वित्त मंत्रालय, अन्य सरकारी विभागों और सेबी के अधिकारियों के साथ ही प्रमुख शेयरधारक और टे्रडिंग सदस्य शामिल हैं। एनएसई इस विवाद से खुद को दूर रखने का प्रयास कर रहा है। एक्सचेंज की योजना आने वाले हफ्ते में ऐसी और बैठकें करने की है ताकि ट्रेडिंग वॉल्यूम और एक्सचेंज के विश्वास पर किसी तरह की आंच न आए।
एनएसई ने कहा है कि सेबी के आदेश में बाहरी व्यक्ति (हिमालय के योगी) के साथ गोपनीय जानकारी साझा करने और एचआर की कार्यप्रणाली में खामियों की बात उठाई गई हैं मगर वे छह साल पहले की बातें हैं और उसके बाद से पूरे तंत्र तथा प्रबंधन में व्यापक बदलाव किया जा चुका है। एक अधिकारी ने कहा, ‘एक्सचेंज का कारोबार पूरी तरह विश्वास और पारदर्शिता पर निर्भर करता है। एनएसई इस समय विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों और अन्य बड़े संस्थागत निवेशकों के लिए ट्रेडिंग का सबसे पसंदीदा अड्डा है। ऐसे में उनके विश्वास को अटूट बनाए रखना जरूरी है।’
इस बारे में जानकारी के लिए एनएसई से संपर्क किया गया लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं आया।
11 फरवरी को सेबी ने एनएसई और उसके पूर्व प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी रवि नारायण पर 2-2 करोड़ रुपये का जुर्माना लगया था। इसके साथ ही आनंद सुब्रमण्यन की नियुक्ति और पदोन्नति में अनियमितता के मामले में चित्रा पर 3 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। सेबी ने एनएसई के पूर्व समूह परिचालन अधिकारी और सुब्रमण्यन के सलाहकार पर भी 2 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। सेबी ने एनएसई को अगले छह महीने तक कोई नया उत्पाद पेश करने से भी रोक दिया है।
यह मामला 2013 से 2016 के बीच का है। इस बीच आयकर विभाग और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने सेबी के हालिया आदेश के मद्देनजर जांच शुरू कर दी है।
एनएसई बोर्ड में बदलाव
को-लोकेशन मामला सामने आने और दिसंबर 2016 में चित्रा के पद छोडऩे के बाद से एक्सचेंज के बोर्ड में कई बदलाव किए गए हैं। सेबी के पूर्व कार्यकारी निदेशक और भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के पूर्व प्रमुख अशोक चावला को उसी साल जनहित निदेशक नियुक्त किया गया था। जुलाई 2016 में तीन जनहित निदेशकों की और नियुक्ति की गई, जिनमें इन्फोसिस के पूर्व सीएफओ मोहनदास पई, केपीएमजी इंडिया के पूर्व उप मुख्य कार्याधिकारी दिनेश कंवर और कंपनी मामलों के मंत्रालय के पूर्व सचिव नावेद मसूद शामिल हैं। वाईएच मालेगाम, श्रीनिवास मूर्ति, एस सदगोपलान और सेवनिवृत्ति न्यायमूर्ति बीएन श्रीकृष्ण का जनहित निदेशक के तौर पर इस दौरान कार्यकाल पूरा हो गया।
