वैश्विक अर्थव्यवस्था में आ रही मंदी से प्राइवेट इक्विटी (पीई) फर्मों का महत्व बढ़ गया है।
अब जिन कंपनियों में उनकी खासी हिस्सेदारी है, वे उनके रोजमर्रा के प्रबंधन से जुड़े मामलों में दखल बढ़ा रही हैं। ये कदम अपने निवेश के रिटर्न का दायरा बढ़ाए जाने के चलते उठाए जा रहे हैं।
इस पूरी दुनिया में पीई कारोबारी कंपनियों के प्रबंधन में रुचि दिखा रही हैं क्योंकि उन्हें वाले समय में अपने निवेश के एवज में अच्छा रिटर्न मिलने के आसार नजर आ रहे हैं।
इसके तहत वे प्रमोटरों को कारोबार के लिए रणनीति बनाने, अपने उत्पादों की मार्केटिंग और सर्विस, उनकी वर्किंग कैपिटल की जरूरतों को पूरा करने में मदद देना, ऑपरेशन की पुनर्संरचना और कैश फ्लो को सुपरवाइज करना शामिल है।
अगर लिस्टेड कंपनियों की बात की जाए तो स्थिति कोई ज्यादा अच्छी नहीं है। दिल्ली स्थित निवेश बैंक एसएमसी नेक्सजेन कैपिटल की रिसर्च के अनुसार 2007 में पीआईपीई (प्राइवेट इंवेस्टमेंट इन पब्लिक इक्विटी) सौदों में 51.65 फीसदी या फिर 14,000 करोड़ रुपये नुकसान हुआ।