प्रमुख नियामकीय बदलावों से आईपीओ में अमीर लोगों के निवेश करने के तरीके में बदलाव आ सकता है। इस महीने की शुरुआत से आरबीआई ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) द्वारा आईपीओ वित्त पोषण पर 1 करोड़ रुपये की सीमा लगाई है।
इससे अत्यधिक अभिदान स्तर में कमी आने का अनुमान है, क्योंकि शुरू में एनबीएफसी ने आईपीओ पर दांव लगाने के लिए लोगों को 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की उधारी दी। इसके अलावा, पूंजी बाजार नियामक सेबी ने 2 लाख रुपये और 20 लाख रुपये के बीच निवेश करने वाले लोगों के लिए नई उप-श्रेणी पेश की है। एचएनआई कोटे का एक-तिहाई ऐसे निवेशकों के लिए आरक्षित रखा जाएगा। इस सेगमेंट में कई रिटेल आवेदन हासिल होने की संभावना है।
1 करोड़ रुपये की सीमा
अक्टूबर में आरबीआई ने ज्यादा सट्टेबाजी रोकने के प्रयास में आईपीओ के लिए कर्ज के संदर्भ में प्रति उधारकर्ता 1 करोड़ रुपये की सीमा घोषित की। यह नियम 1 अप्रैल को प्रभावी हुआ।
एनबीएफसी एचएनआई को करोड़ों रुपये उधार देकर पिछले साल की आईपीओ तेजी का लाभ उठाने में सक्षम रही थीं। उनका मकसद बड़े आईपीओ से पहले सात दिन के वाणिज्यिक पत्र जारी कर पूंजी जुटाना था। यह पूंजी 200-400 आधार अंक के अंतर को बरकरार रखकर उधार दी गई थी। ऋण लेने वाले कमाई करने में सफल रहे, क्योंकि सूचीबद्घता के दिन तेजी कई मामलों में उधारी लागत के बाद भी खरीद लागत को पार कर गई। हालांकि 1 करोड़ रुपये की सीमा के साथ आईपीओ के लिए उधारी बाजार काफी घटने का अनुमान है और इसका प्रभाव एनबीएफसी पर पड़ेगा।
एनबीएफसी का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि निवेशकों को पारिवारिक सदस्यों और दोस्तों से जुड़े कई खातों के जरिये आवेदन करना चाहिए। उनका यह भी मानना है कि आवेदनों में इजाफा होने से खासकर आईपीओ के लिए ऋण देने में संभावित कमी की भरपाई करने में आंशिक तौर पर मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा, ‘आरबीआई ने आईपीओ के लिए ऋण प्रतिबंधित कर दिया है। हालांकि शेयरों के खिलाफ ऋण पर कोई सीमा नहीं है। इसलिए एनबीएफसी उन निवेशकों को उधार देंगी जो अपनी प्रतिभूतियां गिरवी रखते हैं। इसके अलावा, 1 करोड़ रुपये की सीमा एनबीएफसी पर भी लागू होती है। ऐसे अन्य वित्तीय संस्थान हो सकते हैं जो एनबीएफसी के तौर पर पंजीकृत नहीं हैं।’
नई एचएनआई श्रेणी
सिर्फ कुछ एचएनआई ही उधारी हासिल करने और इस रकम को आईपीओ में लगाने में दक्ष हैं। सेबी के नियम में उन लोगों पर स्पष्ट रूप से जोर दिया गया है जो एचएनआई के तौर पर आईपीओ में 2 लाख रुपये से ज्यादा का निवेश करते हैं। ज्यादा अभिदान मिलने का मतलब यह है कि 2 लाख और 10 लाख रुपये के बीच निवेश करने वाले लोगों को एचएनआई श्रेणी में मुश्किल से ही आवंटन मिलता है। ऐसे निवेशकों की मदद के लिए सेबी ने नई उप-श्रेणी पेश की है। जहां यह एक स्वागत योग्य कदम है, वहीं ऐसे निवेशकों के लिए आरक्षित शेयरों की संख्या कुल आईपीओ आकार का महज 5 प्रतिशत होगी, जबकि रिटेल यानी छोटे निवेशकों (जो 2 लाख रुपये से कम का निवेश करते हैं) के लिए यह 35 प्रतिशत है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि आईपीओ आकार का सिर्फ 15 प्रतिशत हिस्सा एचएनआई कोटा तैयार करता है।