मोतीलाल ओसवाल की संपत्ति फंड प्रबंधन इकाई, इंडियाबुल्स और अन्य कंपनियां रियल एस्टेट डेवलपरों को निर्माण गतिविधियों के लिए ऋण देने के लिए नए फंड/योजनाओं को पेश कर रही हैं। इन कंपनियों का मकसद ऐसे ऋणों के लिए तेजी से बढ़ रही मांग का लाभ उठाना है।
फंड प्रबंधकों का कहना है कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) द्वारा नई उधारी लगभग बंद किए जाने और बैंकों द्वारा इसे लेकर सतर्कता बरतने से पिछले दो वर्षों के दौरान निर्माण वित्त क्षेत्र में बड़ा अंतर देखा गया है।
इंडियाबुल्स ऐसेट मैनेजमेंट में मुख्य कार्याधिकारी (प्राइवेट इक्विटी) अंबर महेश्वरी का कहना है कि इंडियाबुल्स ऐसेट मैनेजमेंट डेवलपरों को निर्माण संबंधित गतिविधियों के लिए ऋण पेशकश को ध्यान में रखकर संयुक्त उपक्रम निर्माण के संदर्भ में वैश्विक निवेशकों के साथ बातचीत कर रही है।
महेश्वरी ने कहा कि इंडियाबुल्स फंड ने अपनी शुरुआत के बाद से ही निर्माण गतिविधियों की फाइनैंसिंग पर जोर दिया है और 2017 तथा 2020 के दौरान उसकी रफ्तार कुछ धीमी पड़ी गई थी, क्योंकि आवासीय क्षेत्र को उस समय चुनौतियों का सामना करना पड़ा था।
उन्होंने कहा, ‘हालांकि मॉर्गेज दरें निचले स्तरों पर रहने, महामारी थमने और टीका उपलब्ध होने की वजह से सकारात्मक धारणा के साथ हमारा मानना है कि रियली एस्टेट क्षेत्र, खासकर आवासीय और वाणिज्यिक कार्यालय सेगमेंट में तेजी आने की संभावना है, क्योंकि 2020 की आखिरी तिमाही में रिकॉर्ड बिक्री से इसका संकेत मिल गया है।’
हाल में मोतीलाल ओसवाल रियल एस्टेट ने 800 करोड़ रुपये के लक्ष्य के साथ अपना पांचवां फंड ‘आईआरईएफ-5’ पेश किया है जो डेवलपरों के लिए निर्माण वित्त पर ध्यान केंद्रित करेगा।
मोतीलाल ने प्रमुख सात शहरों में सुरक्षित उधारी के जरिये परियोजनाओं की मंजूरी के बाद इस कोष का निवेश करने की योजना बनाई है।
मोतीलाल ओसवाल रियल एस्टेट में निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी शरद मित्तल ने कहा, ‘इन सभी बाजारों में करीब 60,000 करोड़ रुपये का निर्माण संबंधित ऋण हर साल जरूरी है। आईएलऐंडएफएस संकट के बाद, पूंजी की उपलब्धता में अंतर आया है। जहां हमारे पिछले फंड मंजूरी-पूर्व चरण में निवेश पर केंद्रित थे, वहीं मंजूरी-बाद चरण में पूंजी के अभाव ने हमारे जैसे फंड के लिए इस क्षेत्र में प्रवेश का अवसर मुहैया कराया है।’
