रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) के सोलर बैटरी और हाइड्रोजन वैल्यू चेन से संबंधित जीरो-उत्सर्जन दृष्टिकोण ने कई विश्लेषकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। गोल्डमैन सैक्स के विश्लेषकों ने अपनी एक रिपोर्ट में इस शेयर के लिए फिर से ‘खरीदें’ रेटिंग दी है और इसके लिए 12 महीने का कीमत लक्ष्य 3,185 रुपये तय किया है, जो मंगलवार के बंद भाव से करीब 34 प्रतिशत की वृद्घि है।
वैश्विक शोध एवं ब्रोकरेज फर्म ने आरआईएल को भारत की सबसे बड़ी ‘ग्रीनएबलर’ करार दिया है, क्योंकि उसका नया ऊर्जा पूंजी खर्च अनुपात बड़े ऊर्जा प्रतिस्पर्धियों में सर्वाधिक में से एक है। गोल्डमैन सैक्स का मानना है कि नया ऊर्जा व्यवसाय खंड आरआईएल के लिए अन्य विकास इंजन है। कंपनी ने वर्ष 2035 तक शुद्घ रूप से उत्सर्जन-मुक्त होने का लक्ष्य रखा है।
प्रत्येक खंड में आय सुधार की निरंतर गति, नई डिजिटल उत्पाद पेशकशों और आरआईएल के नए ऊर्जा व्यवसाय रूपरेखा पर प्रबंधन से अधिक जानकारी को लेकर गोल्डमैन सैक्स का मानना है कि ये तीन ऐसे मुख्य कारक हैं जो मुकेश अंबानी नियंत्रित आरआईएल के व्यवसाय को आने वाले वर्षों में मजबूती प्रदान करेंगे।
गोल्डमैन सैक्स के निखिल भंडारी, विनीत जोशी, एथन लियू और शॉन शिन ने 7 दिसंबर की अपनी रिपोर्ट में लिखा, ‘ये कारक हमारे विश्लेषणों पर वित्त वर्ष 2021ई-23ई के दौरान 41 प्रतिशत सीएजीआर की मजबूत आय वृद्घि को मजबूती प्रदान करेंगे, जो ब्लूमबर्ग के 2023 के 16 प्रतिशत के अनुमानों से ज्यादा है।’
सोमवार को आरआईएल ने सोलर पैनल निर्माता आरईसी सोलर होल्डिंग्स के अधिग्रहण के वित्त पोषण के लिए 73.6 करोड़ डॉलर की पूंजी (ग्रीन लोन) जुटाई। कंपनी के लिए यह इस तरह का पहला वित्त पोषण होगा। अक्टूबर में आरआईएल ने स्टर्लिंग और विल्सन सोलर में 40 प्रतिशत हिस्सा खरीदने की घोषणा की थी।
गोल्डमैन सैक्स को वैश्विक के साथ साथ भारत में सौर, बैटरी और हाइड्रोजन निर्माण में विस्तार की अच्छी संभावनाएं दिख रही हैं और उम्मीद है कि आरआईएल वित्त वर्ष 2030/वित्त वर्ष 2040 तक 3.6 अरब डॉलर/12.2 अरब डॉलर की एबिटा हासिल करेगी।
सीएसआर खर्च में आगे रिलायंस
जहां वित्त वर्ष 2021 में भारतीय उद्योग का सीएसआर खर्च 64 प्रतिशत घटकर 8,828 करोड़ रुपये रह गया, वहीं रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) ने वित्त वर्ष 2020-23 के दौरान सीएसआर पर 922 करोड़ रुपये खर्च किए और इस तरह से वह सीएसआर गतिविधियों में खर्च करने वाली शीर्ष कंपनी रही। टाटा गु्रप की प्रमुख कंपनी टीसीएस दूसरे स्थान पर रही, और उसका सीएसआर खर्च 674 करोड़ रुपये रहा, जबकि विप्रो 246 करोड़ रुपये के खर्च के साथ तीसरे पायदान पर रही।
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने सीएसआर मिशन पर लगातार ध्यान केंद्रित किया है और वह कोविड के खिलाफ भारत की मुहिम को आगे बढ़ाने में प्रतिबद्घ है। कंपनी ने कहा कि महामारी से मुकाबले के प्रयासा में विभिन्न राज्य सरकारों और केंद्र के लिए रिलायंस ने 561 करोड़ रुपये का योगदान दिया।