एनडीटीवी को इसके शेयरधारकों की ओर से अपने कारोबार को दो भागों में विभाजित करने की अनुमति मिल गई है।
कारोबार के इस बंटवारे के बाद बनी एक इकाई समाचार चैनलों का कारोबार देखेगी जबकि दूसरी इकाई लाइफ स्टाइल और मनोरंजन चैनल, साथ ही दूसरे कारोबार का दायित्व संभालेगी। अगर आने वाले समय में नए रणनीतिक और वित्तीय निवेशकों को इसमें जोड़ा जाता है तो इससे शेयर धारकों के लिए कुछ लाभ की स्थिति बन सकती है।
हालांकि कारोबार के इस विभाजन के बाद निवेशकों को इन दो में से किसी एक इकाई में अपने कारोबार बनाए रखने का विकल्प मौजूद है लेकिन इसके साथ ही बुरी खबर यह भी है कि इन दिनों बाजार में एनडीटीवी का कारोबार बढिया नहीं हो रहा है।
मिसाल के तौर पर दिसंबर 2008 की तिमाही में समाचार चैनल से आने वाले राजस्व में 10 फीसदी की गिरावट देखी गई है और यह 82 करोड रुपये रहा जबकि इस कारोबार से कंपनी को 16 करोड रुपये का घाटा उठाना पड़ा। एनडीटीवी का अंग्रजी न्यूज चैनल तीन प्रमुख न्यूज चैनलों में से एक है लेकिन प्रतिस्पर्धा से भरे बाजार में कंपनी के लिए कारोबार में खासी मुश्किलें आ रही है।
अगर एनडीटीवी समूह के ही हिन्दी समाचार चैनल एनडीटीवी इंडिया की बात करें तो लोगों की बीच इसकी मांग में भी कमी आई है और आज तक ने अपने नंबर वन की स्थिति को बरकरार रखा है। कारोबारी चैनल एनडीटीवी प्रॉफिट सीएनबीसी टीवी 18 से हमेशाा से काफी पीछे रहा है और अब ईटी नाऊ के आ जाने से प्रतिस्पर्धा और कड़ी हो सकती है।
जहां तक मनोरंजन चैनल की बात करें तो एनडीटीवी इमैजिन को मिला रेटिंग प्वाइंट 60-80 के बीच है और उम्मीद की जा रही है कि इस तिमाही में कंपनी 35 करोड रुपये का राजस्व अर्जित कर सकती है। पिछले कुछ सप्ताहों के दौरान तीन हिन्दी न्यूज चैनलों ने 65 फीसदी दर्शकों पर कब्जा जमाया है जिससे इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि इनकी स्थिति काफी मजबूत हो रही है।
एनडीटीवी इमैजिन के लिए कारोबार करना और भी मुश्किल हो रहा है और जब तक कंपनी अपने कार्यक्रमों में नए निवेश नहीं करती है तब तक जीआरपी में उछाल आना संभव नहीं होगा। इधर एनबीसी यूनिवर्सल का एनडीटीवी नेटवर्क में 26 फीसदी की हिस्सेदारी है लेकिन ऐसा नहीं लगता कि एनडीटीवी को इससे बहुत ज्यादा फायदा मिला है।
एल्युमीनियम: खुश न हों
इन दिनों एल्युमीनियम कंपनी के शेयरों में खासी उछाल देखने को मिला है। स्टरलाइट के शेयरों में 40 फीसदी का उछाल आया है जबकि हिडाल्को का रिटर्न 32 फीसदी रहा है।
नाल्को का प्रदर्शन उस हिसाब से उतना उम्दा नहीं रहा और इसके शेयरों में मात्र 13 फीसदी का ही उछाल आया। इन कंपनियों के शेयरों में उछाल आने का कारण यह है कि एलएमई पर एल्युमीनियम की कीमतों में काफी मजबूती आई है और यह 1,302 डॉलर के स्तर से उछलकर 1,440 डॉलर के स्तर तक पहुंचा है। इसमें 10 फीसदी से ज्यादा का उछाल आया है।
तांबे की कीमतों में भी 12 फीसदी की तेजी आई है और यह 4,006 डॉलर प्रति टन के स्तर पर पहुंच गया है। विश्लेषकों का मानना है कि जब तक ऑटोमोबाइल, निर्माण और इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनियां जल्द ही खरीदारी शुरू नहीं करती है तब तक कीमतों में तेजी बने रहने की संभावना कम ही दिखाई पड़ती है।
मौजूदा कीमतों में बढोतरी में भी पहले से जमा एल्युमीनियम में कमी और हाजिर बाजार में बिक्री को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। बकौल विश्लेषक मांग की स्थिति अभी भी काफी कमजोर है और शायद इसी वजह से सीएलएसए ने वित्त वर्ष 2009-10 में एल्युमीनियम और तांबा की कीमतों में कमी आने की संभावना व्यक्त की है।
इससे पहले कीमतों के 2009-10 में करबी 1,950 डॉलर प्रति टन रहने का अनुमान लगया गया था लेकिन अब इसे कम कर 1,500-1,600 डॉलर के स्तर पर कर दिया गया है। इस स्तर पर एल्युमीनियम कंपनियों की कीमतों के लिए मुनाफा कमा पाना आसान नहीं होगा।
अगर तांबा की कीमत 3,500-3,700 डॉलर के स्तर पर रहता है तो स्टरलाइट के मुनाफे में अगले साल कमी आ सकती है। एल्युमीनियम की कीमतों को लेकर अनिश्चितता की स्थिति बनी रहने के साथ ही विश्लेषकों का अनुमान है कि नाल्को के मुनाफे में अगले साल कमी आ सकती है, हालांकि आयातित कोयले पर लागत कम होने के कारण इसे थोडा फायदा मिल सकता है।
नोवेलिस के कारोबार में दिसंबर 2008 की तिमाही में 15 फीसदी की गिरावट आई है जिससे मातृ कंपनी हिंडाल्को के मुनाफे में भी सेंध लग सकती है।
