कंपनियों के खातों में गोलमाल से निपटने के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) और इंस्टीटयूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) ने ऑडिटिंग के मामले में सख्ती बढ़ाने का फैसला किया है।
दोनों सूचीबद्ध कंपनियों के ऑडिट पर ज्यादा कड़ी नजर रखेंगी और इसका दायरा बढ़ाएंगी। इसका मतलब है कि अगर एक बार किसी कंपनी का ऑडिट हो गया, तब ये दोनों संस्थाएं उस कंपनी का औचक ऑडिट कर सकती हैं और अगर ऑडिट में गड़बड़ी पाई तब ऑडिट करने वाली फर्म किसी भी सूचीबद्ध कंपनी का ऑडिट नहीं कर पाएगी।
सेबी पहले ही निफ्टी और सेंसेक्स में शामिल कंपनियों के ऑडिट की समीक्षा की कार्रवाई शुरू कर चुका है और इसको अंजाम देने वाले पेशवरों की नियुक्ति भी की जा चुकी है। अगले एक साल में इस कवायद का दायरा बढ़ाए जाने पर विचार चल रहा है, जिसमें सभी सूचीबद्ध कंपनियों को इसके दायरे में लाने की बात की जा रही है।
आईसीएआई से जुड़े एक सूत्र का कहना है कि इस मामले में काम चल रहा है। सेबी इसके लिए कंपनियों का चयन कंप्यूटर लॉटरी द्वारा करने पर विचार कर रही है। दोबारा किए जाने वाले इस ऑडिट में ऑडिटर की टिप्पणी की जांच की जाएगी और उसे सार्वजनिक नहीं किया जाएगा।
सेबी से जुड़े एक सूत्र का कहना है, ‘मुझे नहीं लगता इसमें बहुत ज्यादा दिक्कतें आने वाली हैं। हमारे ऑडिटरों का बहुत बढ़िया ट्रैक रिकॉर्ड रहा है। हम दुनिया को संदेश देना चाहते हैं कि सत्यम घोटाला महज एक संयोग ही था।’
आईसीएआई का कहना है अगर किसी ऑडिटिंग फर्म की गड़बड़ी पाई जाती है तो वह किसी भी सूचीबद्ध कंपनी का ऑडिट नहीं कर पाएगी, उस पर पाबंदी लगा दी जाएगी। दोबारा ऑडिट के लिए आईसीएआई के पास चार्टर्ड अकाउंटेंटों का एक पैनल है।
सूत्रों का कहना है कि तकरीबन 1,800 ऑडिटिंग फर्म ही सभी सूचीबद्ध कंपनियों का ऑडिट करती हैं और इनके दोबारा ऑडिट करने के लिए 500 पेशेवरों की ही जरूरत पड़ेगी।
दोबारा ऑडिटिंग करेंगे सेबी और आईसीएआई
गड़बड़ी मिलने पर ऑडिटिंग फर्म पर पड़ेगा डंडा
किसी भी सूचीबद्ध कंपनी का ऑडिट करने पर लगेगी रोक
दोबारा ऑडिट के लिए चार्टर्ड अकाउंटेंटों का पैनल
