भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने म्युचुअल फंड सौदों को सख्त भेदिया कारोबार नियमन के दायरे में लाने का प्रस्ताव किया है। इस कदम का मकसद म्युचुअल फंड उद्योग के शीर्ष अधिकारियों को संवेदनशील जानकारी के बेजा इस्तेमाल से रोकना है।
फिलहाल भेदिया कारोबार निषेध नियमन के तहत म्युचुअल फंड यूनिट को ‘प्रतिभूति’ की परिभाषा से बाहर रखा गया है। इसी तरह म्युचुअल फंड यूनिट की खरीद और बिक्री को ‘ट्रेडिंग’ की परिभाषा से बाहर रखा गया है।
बाजार नियामक ने इस बारे में आम लोगों से प्रतिक्रिया मांगी है कि म्युचुअल फंड उद्योग को भी इसके दायरे में लाने के लिए भेदिया कारोबार निषेध नियमन में संशोधन करने की जरूरत है या नहीं।
बड़े फंड हाउसों पर फ्रंट-रनिंग यानी भेदिया के आरोपों के मद्देनजर यह प्रस्ताव किया गया है। आज जारी परिचर्चा पत्र में सेबी ने कहा है कि ऐसा पाया गया है कि म्युचुअल फंड पंजीयक और ट्रांसफर एजेंट (आरटीए) ने एक योजना से अपनी सभी यूनिट भुना ली थीं क्योंकि उनके पास उससे जुड़ी कुछ संवेदनशील जानकारी थीं। यह भी देखा गया है कि म्युचुअल फंड उद्योग के कुछ शीर्ष लोगों ने चुनिंदा संवेदनशील जानकारी होने पर अपनी होल्डिंग भुना लीं और इस बारे में योजना के यूनिट धारकों को जानकारी नहीं दी।
सेबी ने परिचर्चा पत्र में कहा है, ‘म्युचुअल फंड के यूनिट को भेदिया कारोबार निषेध नियमन से बाहर रखा गया है। ऐसे में भेदिया कारोबार निषेध नियमन के प्रावधान को समुचित बनाने की जरूरत है ताकि म्युचुअल फंड योजना से जुड़ी गैर-सार्वजनिक संवेदनशील जानकारी का प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ गंभीर प्रवर्तन कार्रवाई की जा सके।’ सेबी ने इस पर 29 जुलाई तक लोगों से प्रतिक्रिया मांगी है।
सेबी की योजना म्युचुअल फंड से संबंधित जुड़े लोगों, अधिकारियों, बंद होने की अवधि, म्युचुअल फंड सौदों के लिए पूर्व-मंजूरी जैसी अवधारणा को लागू करने की है। इसके साथ ही संबंधित व्यक्तियों के लिए आचार संहिता भी बनाई जाएगी। यह उन सभी लोगों पर लागू होगी, जो कामकाजी घंटों के बाद म्युचुअल फंड योजना या यूनिट से जुड़ी अप्रकाशित कीमत संबंधी संवेदनशील जानकारी का जिम्मा संभालते हैं।
