देसी फंड मैनेजर निवेश निकाल रहे हैं जबकि बाजारों में मार्च के आखिरी हफ्ते के निचले स्तर से 45 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। मौजूदा वित्त वर्ष में फंड हाउस शुद्ध बिकवाल रहे हैं और उन्होंने 9,639 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं।
मई में बाजार एकीकृत हुआ और लाल निशान में बंद हुआ, उसे छोड़कर फंड हाउस सभी महीने में शुद्ध बिकवाल रहे हैं और इस तरह से बाजार की तेजी का फायदा इक्विटी पोजीशन से निकासी में उठाया।
टाटा एमएफ के वरिष्ठ फंड मैनेजर सोनम उदासी ने कहा, पोजीशन को हल्का किया गया क्योंकि आय में मजबूती की संभावना नहीं है। म्युचुअल फंड उद्योग के प्रतिभागी निवेश हासिल करने में भी कमजोरी देख सकते हैं, जिसकी वजह से फंड मैनेजर शायद बिकवाली कर रहे हैं। उन्होंने कहा, इसके अलावा कुछ क्षेत्र विशेष में खरीदारी व बिकवाली हो रही है।
अप्रैल में जब बाजार 14.68 फीसदी सुधरा तो म्युचुअल फंडों ने 7,965 करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली की। उसके बाद के महीने में जब एकीकरण हो रहा था तब उन्होंने 6,522 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
जून व जुलाई में जब निफ्टी ने हर महीने 7-7 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज की तब फंड हाउस ने इन दोनों महीनों में 8,196 करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली की। एक अन्य फंड मैनेजर ने कहा, बाजार करीब-करीब कोविड पूर्व के स्तर पर आ गया है जबकि आर्थिक अनिश्चितता अभी भी बनी हुई है।
विशेषज्ञों ने कहा कि हाल के महीनों में निवेशकों का व्यवहार भी इसका अहम संकेतक रहा है कि फंड हाउस ने इक्विटी बाजारों में कैसे ट्रेड किया। प्राइमइनन्वेस्टर डॉट इन की सह-संस्थापक विद्या बाला ने कहा, म्युचुअल फंडों की तरफ होने वाली खरीदारी इक्विटी योजनाओं में उन्हें मिलने वाले निवेश और निवेश निकासी से संचालित हुई है। हाल में हमने इक्विटी योजनाओं में निवेश में कमी देखी, जिससे बाजार में निवेश पर असर पड़ा। उन्होंने कहा कि बाजार के मूल्यांकन को लेकर भी फंड मैनेजर सहज नहीं हैं।
जून में इक्विटी योजनाओं में 240 करोड़ रुपये की शुद्ध निवेश मिला, जो चार साल में इन योजनाओं के लिए सबसे खराब महीना था। उद्योग के अनुमान के मुताबिक, जुलाई में कमजोरी दिख सकती है क्योंकि फंडों को मिलने वाला निवेश नकारात्मक हो सकता है।
विशेषज्ञों ने कहा कि इक्विटी निवेश में नरमी हाइब्रिड श्रेणियों में दोबारा संतुलन के वजह से भी हो सकती है, जो डेट व इक्विटी दोनों तरह की प्रतिभूतियों में निवेश करता है।
मॉर्निंगस्टार इंडिया के निदेशक (फंड रिसर्च) कौस्तुभ बेलापुरकर ने कहा, मार्च में डायनेमिक ऐसेट एलोकेशन फंडों की तरफ से काफी खरीदारी हुई होगी क्योंकि इक्विटी मूल्यांकन में भारी कमी आई थी। हालांकि जब बाजार में तेजी आी तो इन योजनाओं को अपना निवेश घटाना भी पड़ा होगा क्योंकि योजनाओं के तहत डेट का स्तर तब बढऩा होता है जब बाजार का मूल्यांकन बढ़ जाता है।
