म्युचुअल फंड (एमएफ) ताजा उतार-चढ़ाव के बावजूद शेयरों में ज्यादा निवेश कर रहे हैं।
प्राइमडेटाबेस डॉटकॉम के अनुसार, इस उद्योग ने अक्टूबर तक सूचीबद्घ 824 कंपनियों में निवेश किया है। बीएसई का सेंसेक्स उस महीने 62,245 के सर्वाधिक ऊंचे स्तर पर पहुंचा। तब से सेंसेक्स गिरकर 57,864 पर आ चुका है, जो उसके ऊंचे स्तरों से करीब 7 प्रतिशत की गिरावट है।
प्राइमडेटाबेस डॉटकॉम के अनुसार इस गिरावट के बावजूद, म्युचुअल फंडों ने 842 कंपनियों में निवेश किया है, जो कम से कम 69 महीनों में सर्वाधिक है।
निवेश में उसी रफ्तार में तेजी आई है जिस पर नए शेयरों की संख्या में इजाफा हुआ है। मासिक आधार पर बदलाव अक्टूबर से करीब दोगुना हुआ है।
म्युचुअल फंडों ने तेज पूंजी प्रवाह दर्ज किया है। भारत में म्युचुअल फंडों के संगठन यानी एम्फी के अनुसार, इक्विटी योजनाओं ने फरवरी में 19,705 करोड़ रुपये का शुद्घ पूंजी प्रवाह दर्ज किया।
हालांकि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) अक्टूबर से 1.49 लाख करोड़ रुपये के शुद्घ बिकवाल रहे हैं। यूक्रेन पर रूस के हमले, और केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रिक सख्ती की आशंकाओं से भी धारणा प्रभावित हुई है।
उतार-चढ़ाव की वजह से वैल्यू में कमी आई है। प्राइमडेटाबेस डॉटकॉम के अनुसार म्युचुअल फंडों की सूचीबद्घ कंपनियों में फिलहाल 7.16 प्रतिशत हिस्सेदारी है। सर्वाधिक तेज स्तर अप्रैल 2020 में 8.81 प्रतिशत दर्ज किया गया था।
ब्रोकरेज और वित्तीय सेवा कंपनी आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज की 24 फरवरी की रिपोर्ट ‘म्युचुअल फंड रिव्यू’ में कहा गया है कि निवेशकों में शेयरों में गिरावट पर बाहर किलने और तेजी पर खरीदने के बजाय बाजार गिरावट के दौरान अधिक पैसा पास रखने की प्रवृत्ति पर ध्यान देना शुरू किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे छोटे निवेशकों में परिपक्वता बढऩे का संकेत मिलता है और छोटी कंपनियों में निवेश करने वाली योजनाएं लोकप्रिय हुई हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हम सामान्य तौर पर, भारतीय इक्विटी बाजार पर आशान्वित बने हुए हैं, और हमारा मानना है कि मौजूदा स्तरों से, हरेक गिरावट खरीदारी का अवसर है। भूराजनीतिक टकराव से जुड़ी अनिश्चितता को देखते हुए निकट भविष्य में और ज्यादा गिरावट या अस्थिरता की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। हालांकि बाजार प्रदर्शन की मानक समझी जाने वाली कॉरपोरेट आय तेज सुधार की राह पर बनी हुई है।’
मॉर्गन स्टैनली इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, जहां कम सकल घरेलू उत्पाद वृद्घि से आय अनुमान प्रभावित हुए हैं, वहीं उन्हें 22 प्रतिशत की वृद्घि दर का अनुमान है।
