छोटे व मझोले उद्यमों (एसएमई) की तरफ से सार्वजनिक शेयर बिक्री के जरिए वित्त वर्ष 2022 में अच्छी खासी रकम जुटाई गई। इससे पिछले दो वित्त वर्ष में महामारी के कारण काफी सुस्ती देखने को मिली थी।
वित्त वर्ष 2022 में 70 पेशकश के जरिये एसएमई ने 965 करोड़ रुपये जुटाए, जो वित्त वर्ष 21 की 28 पेशकश से जुटाई गई रकम के मुकाबले चार गुना है। यह हालांकि वित्त वर्ष 2018 में जुटाई गई रिकॉर्ड रकम 2,213 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2019 में संग्रहित 1,620 करोड़ रुपये के मुकाबले काफी कम है। विशेषज्ञों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2021 में इश्यू की संख्या घटी क्योंंकि निवेशकों ने बड़ी कंपनियों को प्राथमिकता दी, जिन्हें महामारी के बीच ज्यादा सुदृढ़ माना गया, बजाय इसके कि छोटी कंपनियों में अपनी पूंजी लगाकर जोखिम उठाया जाए। इस साल अहम बढ़त वाले शेयरों में बीईडब्ल्यू इंजीनियरिंग (इश्यू प्राइस के मुकाबले 1,520 फीसदी की बढ़त), कोटयार्क इंडस्ट्रीज (676 फीसदी) और डीयू डिजिटल टेक्नोलॉजिज (410 फीसदी) शामिल हैं। प्राइमडेटाबेस डॉट कॉम से यह जानकारी मिली। इस वित्त वर्ष में सूचीबद्ध 60 फीसदी एसएमई आईपीओ ने सकारात्मक रिटर्न दिया।
एए प्लस ट्रेडलिंक, निदान लैबोरेटरीज ऐंड हेल्थकेयर, ब्रांडबकेट मीडिया ऐंड टेक्नोलॉजी और डायनेमिक सर्विसेज ऐंड सिक्योरिटी सबसे ज्यादा गंवाने वालों में शामिल रही, जिनमें 61 फीसदी से लेकर 69 फीसदी तक की गिरावट दर्ज हुई।
विशेषज्ञों ने कहा, उच्च रिटर्न की संभावना के बावजूद एसएमई शेयरों मेंं पूरी पूंजी गंवाने का जोखिम होता है। इन फर्मों का विश्लेषण मुश्किल होता है क्योंंकि विश्लेषक इन्हें ट्रैक नहीं करते और सार्वजनिक तौर पर इससे जुड़े काफी कम आंकड़े उपलब्ध होते हैं। जब प्रवर्तकों की साख की बात आती है तो निवेशकों को खुद की इसका फैसला लेने के लिए छोड़ दिया जाता है। एसएमई क्षेत्र नकदी की कमी और सुस्त संस्थागत भागीदारी से भी जूझता है।
कुछ महीने पहले भारत के सबसे पुराने स्टॉक एक्सचेंज बीएसई ने मैनेजमेंट कंसल्टेंसी एचबीएफ डायरेक्ट के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किया है। यह कंपनी एसएमई को सलाहकारी सेवाएं देती है। बीएसई ने यह करार एमएसएमई व स्टार्टअप को सूचीबद्धता के लिए प्रोत्साहित करने के लिए किया है। बीएसई एसएमई ऐंड स्टार्टअप के प्रमुख अजय ठाकुर ने कहा, ऐसे समय में जब छोटे कारोबार कोविड के आर्थिक असर से धीरे-धीरे उबर रहे हैं, तब इक्विटी फंडिंग की अहमियत काफी ज्यादा हो सकती है। एचबीएफ डायरेक्ट लिमिटेड के मौजूदा क्लाइंट आधार को देखते हुए यह एमओयू हमें विभिन्न क्षेत्रों की एसएमई व स्टार्टअप तक पहुंचने में मदद करेगा और भविष्य में एसएमई व स्टार्टअप की सूचीबद्धता की खातिर सहयोगात्मक कोशिश के द्वार भी खोलेगा। बीएसई व एनएसई ने साल 2012 व 2013 में अलग-अलग एसएमई प्लेटफॉर्म पेश किया, जब बाजार नियामक सेबी ने छोटी कंपनियों को पूंजी बाजार से रकम जुटाने की खातिर लिस्टिंग व डिस्क्लोजर नियमों को आसान बना दिया।
विशेषज्ञों ने कहा, पारदर्शिता में सुधार के अलावा एसएमई के लिए आईपीओ का मार्ग कर्ज पर उनकी निर्भरता कम करता है और उन्हें कर्ज-इक्विटी अनुपात को बनाए रखने में मदद करता है। अच्छी रेटिंग वाले सूचीबद्ध एसएमई बाजार के मुकाबले कम ब्याज पर कर्ज जुटाने में सक्षम होते हैं।
