सात साल में ऐसा पहली बार हुआ है जब म्युचुअल फंडों ने घरेलू शेयर बाजार में शुद्घ बिकवाली की। वित्त वर्ष 2021 में म्युचुअल फंडों ने 1.27 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के शेयर बेचे हैं, जो रिकॉर्ड है।
पिछल छह वित्त वर्षों में म्युचुअल फंड शुद्घ लिवाल थे और वित्त वर्ष 2018 में उन्होंने 1.41 लाख करोड़ रुपये, वित्त वर्ष 2019 में 88,152 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2020 में 91,814 लाख करोड़ रुपये के शेयर खरीदे थे। इससे पहले वित्त वर्ष 2014 में म्युचुअल फंडों ने 21,159 करोड़ रुपये के शेयरों की शुद्घ बिकवाली की थी।
इसके उलट विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने इस वित्त वर्ष में अपना निवेश बढ़ाया है। विदेशी निवेशकों ने इस दौरान 2.6 लाख करोड़ रुपये मूल्य से ज्यादा के शेयर खरीदे हैं। पिछले छह वित्त वर्षों (2015-20) में म्युचुअल फंडों ने कुल 4.85 लाख करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे थे, जो विदेशी पोर्टफोलिये निवेशकों की शुद्घ लिवाली से 2.6 गुना ज्यादा था।
आम तौर पर विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के आकार और ट्रेडिंग प्रारूप को देखते हुए उन्हें बाजार में कीमत तय करने वाला माना जाता है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इस रुझान में बदलाव आया है और बाजार की चाल तय करने में घरेलू संस्थागत निवेशकों खास तौर पर म्युचुअल फंडों का प्रभाव बढ़ रहा है।
पिछले साल मई के बाद बाजार की अच्छी वापसी के बावजूद म्युचुअल फंडों ने शेयरों की बिकवाली की है। असल में म्युचुअल फंड के निवेशकों ने बाजार में तेजी के बीच मुनाफावसूली पसंद की और ज्यादा मूल्यांकन को देखते हुए अपने पोर्टफोलियो में संतुलन बनाने का काम किया है। सितंबर के बाद से बाजार के रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने पर निवेशकों ने अपना निवेश निकालना शुरू किया, जिससे म्युचुअल फंडों को निवेश बेचना पड़ा।
इक्विटी आधारित योजनाओं से पिछले आठ महीने के दौरान 58,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की निकासी की गई है।
सुंदरम म्युचुअल फंड के प्रबंध निदेशक सुनील सुब्रमण्यम ने कहा, ‘ऊंचे मूल्यांकन के बीच अर्थव्यवस्था और बाजार के बीच तालमेल नहीं दिखने से निवेशकों ने पिछले कुछ महीनों में इक्विटी योजनाओं से मुनाफावसूली की है। बड़े शेयरों के ज्यादा मूल्यांकन को लेकर
असहजता की वजह से निवेशकों ने यूनिट बेचने का दबाव बढ़ाया जिससे कोष प्रबंधकों को शेयरों की बिकवाली करनी पड़ी।
एमएससीआई इंडिया की बढ़त मूल्यांकन के लिहाज से एमएससीआई इमर्जिंग मार्केट के मुकाबले 46 प्रतिशत पर है। ब्रोकरेज कंपनी बैंक ऑफ अमेरिका (बोफा) सिक्योरिटीज के अनुसार यह दीर्घ अवधि के औसत से 3 प्रतिशत अधिक है। निवेशकों द्वारा जारी मुनाफावसूली के बीच इक्विटी फंड से लगातार आठवें महीने फरवरी में भी निकासी हुई। म्युचुअल फंडों ने भारती एयरटेल, एचडीएफसी बैंक, रिलायंस इंडस्ट्रीज और एचडीएफसी जैसे मूल्यवान शेयरों में निवेश निकालने शुरू कर दिए। पिछले आठ महीनों के दौरान शेयरों पर केंद्रित योजनाओं से 46,000 करोड़ रुपये निकासी हुई है। फंड उद्योग के लोगों का मानना है कि अगले कुछ महीनों के दौरान भी निकासी जारी रह सकती है।
बकौल कारोबारी अगर बाजार लगातार ऊंचे स्तरों पर रहा और मूल्यांकन मजबूत रहा तो निवेशक इक्विटी फंडों से निवेश समेटना जारी रखेंगे। घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने वित्त वर्ष 2021 में नवंबर में 1.4 लाख करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के शेयरों की बिकवाली की जबकि पिछले वर्ष उन्होंने 1.28 लाख करोड़ रुपये शेयरों में लगाए थे। डीआईआई में म्युचुअल फंड, बीमा कंपनियां एवं अन्य घरेलू वित्तीय संस्थान आते हैं। बाजार में अनिश्चितता के बीच भारतीय शेयरों का ऊपर भागना जारी है और वे सर्वकालिक उच्चतम स्तर तक पहुंच चुके हैं। बोफा सिक्योरिटीज ने हाल में कहा कि भारत में पिछले कई वर्षों की तुलना में पूंजीगत व्यय पर अधिक जोर दिया जा रहा है। इस ब्रोकरेज कंपनी ने कहा, ‘हमें लगता है कि आर्थिक सुधार जारी रहने के बीच विनिर्माण एवं प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा मिलेगा और सरकार का दबदबा कारोबार एवं उद्योग में कम हो जाएगा।’
