देसी म्युचुअल फंड उद्योग की मौजूदा प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां 30 लाख करोड़ रुपये है और यहां तक पहुंचने में उसने लंबा सफर तय किया है। हालांकि वैश्विक ब्रोकरेज फर्म जेफरीज का मानना है कि उद्योग में अभी भी काफी बढ़त की क्षमता है क्योंंकि जब एयूएम यानी प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियों में बढ़त की बात आती है तो यहां काफी गुंजाइश है। जेफरीज की तरफ से हुए विश्लेषण से पता चलता है कि जीडीपी के प्रतिशत के लिहाज से भारत के म्युचुअल फंड का एयूएम 12 फीसदी है, जो काफी कम है और वैश्विक औसत 63 फीसदी का एक मामूली हिस्सा। छोटे उभरते बाजारों मसलन ब्राजील (68 फीसदी) और दक्षिण अफ्रीका (48 फीसदी) का प्रसार व्यापक है। ब्रोकरेज का अनुमान है कि उध्योग का एयूएम वित्त वर्ष 2022 से 2024 के बीच 13 फीसदी सालाना चक्रवृद्धि की रफ्तार से बढ़ेगा। इक्विटी एयूएम 15 फीसदी सालाना चक्रवृद्धि की रफ्तार से बढऩे की संभावना है और कुल परिसंपत्ति में उसकी हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2024 तक बढ़कर 46 फीसदी हो जाएगी, जो अभी 42 फीसदी है। अभी भारत का इक्विटी एयूएम व जीडीपी अनुपात 5 फीसदी है, जबकि वैश्विक औसत 34 फीसदी है। जनवरी के आखिर तक इक्विटी ओरियंटेड योजनाएं 8.91 लाख करोड़ रुपये की थी। अमेरिका व कनाडा जैसी विकसित अर्थव्यवस्थाओं में इक्विटी एयूएम व जीडीपी का अनुपात क्रमश: 75 फीसदी व 55 फीसदी है।
जेफरीज के विश्लेषकों अभिषेक सराफ व प्रभाकर शर्मा ने एक नोट में कहा है, वित्तीय बचत की बढ़ती हिस्सेदारी के लिए स्थितियां मजबूत बनी हुई हैं। भारत परंपरागत रूप से उच्च बचत वाली अर्थव्यवस्था (जीडीपी का औसत 30 फीसदी) है, लेकिन इसका बड़ा हिस्सा फिजिकल सेविंग्स में आवंटित होता रहा है। ऐसे में भारत की लंबी अवधि की कहानी भारत के फंड मैनेजरों के लिए अनुकूल है।
