पिछले पांच सालों में पहली बार म्युचुअल फंडों की एसेट्स अंडर मैंनेजमेंट (एयूएम) में गिरावट देखी गई है।
म्युचुअल फंड एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एएमएफआई) के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2008-09 में म्युचुअल फंडों की एयूएम में 7 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई और यह पिछले वित्त वर्ष के 5.3 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले घटकर मात्र 4.93 लाख करोड रुपये रह गई है।
पिछले चार सालों के दौरान एयूएम में निरंतर बढ़ोतरी देखी गई है। वित्त वर्ष 2007-08 में एयूएम पिछले साल की तुलना में 50 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 5.30 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गई। इसके पहले भी यानी मार्च 2004 से मार्च 2007 की अवधि के बीच यह 38,489 करोड़ रुपये से बढ़कर 3.55 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पर पहुंच गया।
म्युचुअल फंडों के एयूएम में कइ कदर तेजी के लिए उन दिनों शेयर बाजार में आए भीषण उछाल को जिम्मेदार माना जा रहा है। शेयर बाजार में आए इस उफान के कारण निवेशक बाजार में धराधर निवेश कर रहे थे, साथ ही उस अवधि के दौरान कई नए डेट उत्पाद जैसे फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान (एफएमपी) को बाजार में उतारा गया जिसे निवेशकों ने हाथों-हाथ लिया।
इस बाबत डीएसपी मेरिल लिंच के फिक्स्ड इनकम प्रमुख धवाल दलाल का कहना है कि इस साल शेयर बाजार में आई भीषण गिरावट के कारण इक्विटी फंडों से निवेशकों ने काफी तादाद में अपने निवेश की निकासी की। बकौल दलाल जुलाई 2008 से शेयर बाजार में कारोबार में गिरावट शुरू होने के बाद उद्योग जगत के अतिरिक्त आय में काफी कमी देखी गई है।
उल्लेखनीय है कि पिछले एक साल के दौरान शेयर बाजार में 40 फीसदी तक की गिरावट आ चुकी है। डेट कारोबार के उत्पाद, मसलन एफएमपी जिसका कारोबार 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा था, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड के सख्त नियमों और ब्याज दरों में गिरावट के कारण इसकेकारोबार में खासी गिरावट दर्ज की गई है।
नए नियमों के अनुसार अब एफएमपी को शेयर बाजार में सूचीबध्द करने की आवश्यकता है। इसके अलावा परिसंपत्ति और कर्ज केबोझ में संतुलन की स्थिति बहाल करने के लिए बजार नियामक ने फंड कंपनियों से लघु अवधि के लिक्विड फंड के दीर्घ अवधि के प्रतिभूतियों में कारोबार से परहेज करने को कहा है।
कोटक एसेट मैंनेजमेंट के फिक्स्ड इनकम और प्रोडक्ट प्रमुख लक्ष्मी अय्यर का कहना है कि म्युचुअल फंडों के एयूएम में गिरावट की एक और वजह बाजार में नए फंडों का अभाव हो गया है।
