अमेरिकी फेडरल रिजर्व (अमेरिकी फेड) द्वारा अनुमान से पहले वृद्घि की आशंका के साथ साथ बढ़ती मुद्रास्फीति (जो रूस-यूक्रेन यूद्घ के बीच अमेरिका में मार्च 2022 में 8.5 प्रतिशत की चार दशक की ऊंचाई पर पहुंच गई) का वैश्विक इक्विटी बाजारों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इन घटनाक्रम की वजह से पिछले 6 महीनों में भारत के प्रमुख सूचकांकों – सेंसेक्स और निफ्टी-50 में करीब 5-5 प्रतिशत की गिरावट आई है।
अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने कहा है कि राबोबैंक इंटरनैशनल के विश्लेषक पहले ही मुद्रास्फीति से मुकाबले से मुकाबले की स्थिति में हैं। व्यक्तिगत खपत में बदलावों पर आधारित मुद्रास्फीति को मापने वाला व्यक्तिगत खपत खर्च (पीसीई) मानक मार्च में 6.6 प्रतिशत पर पहुंच गया, जो फेड के 2 प्रतिशत के लक्ष्य से ऊपर है। राबोबैंक ने कहा कि प्रमुख पीसीई डिफ्लेटर मार्च में 5.2 प्रतिशत था जिससे संकेत मिलता है कि लक्ष्य के मुकाबले प्रतिफल नहीं रहा। सीपीआई के संदर्भ में यह खराब दिख रहा है, क्योंकि मार्च में खाद्यान संबंधित मुद्रास्फीति 8.5 प्रतिशत और मुख्य मुद्रास्फीति 6.5 प्रतिशत रही।
राबोबैंक इंटरनैशनल में वरिष्ठ अमेरिकी रणनीतिकार फिलिप मरे ने एक ताजा रिपोर्ट में लिखा है, ‘फेडरल को जीडीपी वृद्घि के आंकड़े के जरिये निराशा हाथ लगने की संभावना है, लेकिन खपत और निवेश मजबूत बना रह सकता है, भले ही मुद्रास्फीति तेजी से बढ़ी है। अमेरिकी फेड द्वारा दर वृद्घि का कदम उठाए जाने और बैलेंस शीट कटौती की घोषणा किए जाने की संभावना है। मई की बैठक में हमें 50 आधार अंक वृद्घि का अनुमान है।’ लेकिन सवाल यह उठाता है कि दर वृद्घि वाकई में बाजारों के लिए खराब है। अमेरिकी फेड द्वारा इस साल 6-7 दर वृद्घि का अनुमान है, जिनमें से कुछ में कम दर वृद्घि का अनुमान है और अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी की आशंका है। विश्लेषकों को दर वृद्घि से संबंधित त्वरित प्रतिक्रिया के बाद इक्विटी बाजारों में जल्द सुधार की उम्मीद है।
वेलेंटिस एडवायजर्स के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक ज्योतिवद्र्घन जयपुरिया ने कहा, ‘वर्ष 2004 से 2006 के चक्र में, अमेरिकी फेड ने 17 बार 25 आधार अंक तक की दर वृद्घि की थी। समान अवधि के दौरान निफ्टी तेजी से चढ़ा, हालांकि डाउ जोंस (डीजेआईए) में सिर्फ 7.2 प्रतिशत तक की तेजी आई। 2015 के दौरान अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने 2.25 प्रतिशत तक की दर वृद्घि की थी। ‘
