देसी बाजारों ने पिछले हफ्ते की चार फीसदी की गिरावट को और आगे बढ़ा दिया क्योंंकि विदेशी निवेशकों की बिकवाली के बीच रुपये ने रिकॉर्ड निचले स्तर को छू लिया। कमजोर वैश्विक संकेतों और इंडेक्स के दिग्गजों रिलायंस इंडस्ट्रीज में नतीजे पर निराशा के बाद भारी गिरावट ने बाजारों को नीचे खींचा क्योंंकि तकनीकॉी शेयरों ने वापसी की। यूरोपीय व एशियाई इक्विटीज ने महंगाई में बढ़ोतरी, मौद्रिक नीति मेंं सख्ती और चीन से निर्यात में नरमी के बीच दुनिया भर की आर्थिक रफ्तार में गिरावट को लेकर चिंता जताई।
8 मार्च के बाद से सेंसेक्स ने निचला स्तर छू लिया और उसमें 365 अंकों की गिरावट आई और वह 54,471 पर बंद हुआ। कारोबारी सत्र के दौरान यह 918 अंक तक टूट गया था। दूसरी ओर, निफ्टी 109 अंकों की नरमी के बाद 16,302 अंकों पर बंद हुआ।
आरआईएल का शेयर 4 फीसदी तक टूट गया और उसने सेंसेक्स में 318 पाइंट का नकारात्मक योगदान किया। इंडसइंड बैंक व नेस्ले इंडिया में करीब 3-3 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई। एचसीएल टेक 2.4 फीसदी चढ़ा जबकि इन्फोसिस और टीसीएस मेंं क्रमश: 1.7 फीसदी व 0.4 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के खुदरा शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा, आर्थिक रफ्तार और बढ़ती महंगाई की चिंता को लेकर वैश्विक समकक्षों की तरह भारतीय इक्विटी में भी बिकवाली जारी र ही। केंद्रीय बैंकों की तरफ से महंगाई में नरमी की कोशिश के तहत मौद्रिक सख्ती के बीच वैश्विक संकेतक कमजोर रहे। महंगाई आर्थिक रफ्तार को नीचे ला सकता है। इसके अलावा शांघाई मेंं कोविड के कारण लॉकडाउन और जून 2020 के बाद से चीन के कमजोर निर्यात आंकड़ों ने सेंटिमेंट को प्रभावित किया।
पिछले हफ्ते आरबीआई ने अचानक ब्याज दरें बढ़ाई तो बाजारों में काफी परेशानी दिखी। यह कदम अमेरिकी फेडरल रिजर्व बैंंक की तरफ से ब्याज दरों में 50 आधार अंकों के इजाफे के बाद देखने को मिली थी। भारत व अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल सख्त हुआ क्योंंकि निवेशकों ने ब्याज दरों मेंं सिलसिलेवार बढ़ोतरी की संभावना जताई।
विदेशी निवेशकों ने सोमवार को 3,362 करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली की, वहींं देसी निवेशकों ने 2,077 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। इस साल अब तक एफपीआई ने देसी बाजार में 1.4 लाख करोड़ रुपये की बिकवाली की है।आरआईएल, वैश्विक संकेतों से टूटे बाजार
बीएस संवाददाता
मुंबई
देसी बाजारों ने पिछले हफ्ते की चार फीसदी की गिरावट को और आगे बढ़ा दिया क्योंंकि विदेशी निवेशकों की बिकवाली के बीच रुपये ने रिकॉर्ड निचले स्तर को छू लिया। कमजोर वैश्विक संकेतों और इंडेक्स के दिग्गजों रिलायंस इंडस्ट्रीज में नतीजे पर निराशा के बाद भारी गिरावट ने बाजारों को नीचे खींचा क्योंंकि तकनीकॉी शेयरों ने वापसी की। यूरोपीय व एशियाई इक्विटीज ने महंगाई में बढ़ोतरी, मौद्रिक नीति मेंं सख्ती और चीन से निर्यात में नरमी के बीच दुनिया भर की आर्थिक रफ्तार में गिरावट को लेकर चिंता जताई।
8 मार्च के बाद से सेंसेक्स ने निचला स्तर छू लिया और उसमें 365 अंकों की गिरावट आई और वह 54,471 पर बंद हुआ। कारोबारी सत्र के दौरान यह 918 अंक तक टूट गया था। दूसरी ओर, निफ्टी 109 अंकों की नरमी के बाद 16,302 अंकों पर बंद हुआ।
आरआईएल का शेयर 4 फीसदी तक टूट गया और उसने सेंसेक्स में 318 पाइंट का नकारात्मक योगदान किया। इंडसइंड बैंक व नेस्ले इंडिया में करीब 3-3 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई। एचसीएल टेक 2.4 फीसदी चढ़ा जबकि इन्फोसिस और टीसीएस मेंं क्रमश: 1.7 फीसदी व 0.4 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के खुदरा शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा, आर्थिक रफ्तार और बढ़ती महंगाई की चिंता को लेकर वैश्विक समकक्षों की तरह भारतीय इक्विटी में भी बिकवाली जारी र ही। केंद्रीय बैंकों की तरफ से महंगाई में नरमी की कोशिश के तहत मौद्रिक सख्ती के बीच वैश्विक संकेतक कमजोर रहे। महंगाई आर्थिक रफ्तार को नीचे ला सकता है। इसके अलावा शांघाई मेंं कोविड के कारण लॉकडाउन और जून 2020 के बाद से चीन के कमजोर निर्यात आंकड़ों ने सेंटिमेंट को प्रभावित किया।
पिछले हफ्ते आरबीआई ने अचानक ब्याज दरें बढ़ाई तो बाजारों में काफी परेशानी दिखी। यह कदम अमेरिकी फेडरल रिजर्व बैंंक की तरफ से ब्याज दरों में 50 आधार अंकों के इजाफे के बाद देखने को मिली थी। भारत व अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल सख्त हुआ क्योंंकि निवेशकों ने ब्याज दरों मेंं सिलसिलेवार बढ़ोतरी की संभावना जताई।
विदेशी निवेशकों ने सोमवार को 3,362 करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली की, वहींं देसी निवेशकों ने 2,077 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। इस साल अब तक एफपीआई ने देसी बाजार में 1.4 लाख करोड़ रुपये की बिकवाली की है।