अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी का चक्र शुरू किए जाने के बाद भी देसी शेयर बाजार बेफिक्र रहे और बेंचमार्क सेंसेक्स में लगातार दूसरे दिन आज 1000 अंक से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गई। अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने दरों में 25 आधार अंक की बढ़ोतरी की है और आक्रामक रुख अपनाते हुए इस साल छह बार इजाफा करने का संकेत दिया है। फेड के चेयरमैन जेरोम पॉवेल के इस आश्वासन के बाद रुझान मजबूत हुआ है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था बहुत मजबूत है और सख्त मौद्रिक नीति को सह सकती है।
अमेरिकी बाजारों में बुधवार को भारी तेजी के बाद ज्यादातर वैश्विक बाजारों में भी तेजी दर्ज की गई। रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता की उम्मीदों से भी तेजी आई है। इसके अलावा चीन की सरकार ने अपने शेयर बाजार को मदद का वादा किया है, जिससे चीन और हॉन्ग कॉन्ग के बाजारों में तेज उछाल आई। इससे भी बाजारों में सकारात्मक रुख बना है।
सेंसेक्स 1,047 अंक या 1.8 फीसदी बढ़कर 57,864 पर बंद हुआ। निफ्टी 311 अंक या 1.8 फीसदी चढ़कर 17,287 पर बंद हुआ। सेंसेक्स इस सप्ताह में 4.2 फीसदी चढ़ा है, जो 5 फरवरी 2021 के बाद सबसे अधिक साप्ताहिक बढ़त है। सेंसेक्स और निफ्टी पिछले 8 कारोबारी सत्रों में करीब 10 फीसदी चढ़े हैं, जो एक महीने में अपने सर्वोच्च स्तर पर बंद हुए हैं।
फेड ने यह भी कहा कि वह अपनी बैलेंसशीट घटाएगा। इस बढ़त से ये चिंताएं दूर हुई हैं कि फेड की मौद्रिक सख्ती से शेयर बाजारों में गिरावट आएगा।
विशेषज्ञों ने कहा कि बाजारों ने फेड के फैसले को सहजता से लिया है क्योंकि इसने निवेशकों को दर में बढ़ोतरी के लिए तैयार कर दिया था। फेड ने अपने बयान पर टिके रहकर अपनी विश्वसनीयता बरकरार रखी है। अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यूआर भट्ट ने कहा, ‘फेड का बयान बहुत अधिक आक्रामक नहीं था। हालांकि उसने कहा कि वह महंगाई को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाएगा। यह राहत की सांस थी। यह घटनाक्रम पीछे छूट चुका है और हम जानते हैं कि ब्याज दरों के संबंध में क्या उम्मीद की जानी चाहिए।’
विशेषज्ञों ने कहा कि चीन की वित्तीय स्थायित्व एवं विकास समिति के अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के संकल्प के बाद चीन के बाजार में भारी उछाल आई है और नीतियां वैश्विक शेयरों के अनुकूल हैं। चीन में परिदृश्य को लेकर चिंताओं, परिसंपत्ति बाजार में कमजोरी और कोविड-19 के मामले बढऩे से पिछले सप्ताह चीनी बाजारों में भारी गिरावट आई है। यूक्रेन युद्ध और तकनीक, शिक्षा तथा परिसंपत्ति क्षेत्र पर चीनी प्रशासन की कार्रवाई से निवेशक डर गए थे। विशेषज्ञों ने कहा कि सभी केंद्रीय बैंक महंगाई को काबू में करने और वृद्धि को सहारा देने के बीच संतुलन साध रहे हैं। केंद्रीय बैंकों की गलती से वृद्धि प्रभावित होने या महंगाई नियंत्रण से बाहर होने के जोखिम बढ़ रहे हैं।
रुपये की शानदार वापसी
रुपये ने 7 मार्च को अब तक का सबसे निचला स्तर छूने के बाद शानदार वापसी की है। यह पिछले 10 दिनों में डॉलर के मुकाबले 1.5 फीसदी मजबूत होकर एशिया में सबसे बेहतरीन प्रदर्शन वाली मुद्रा बन गया है। पिछले दो दिनों के दौरान रुपया एक फीसदी से अधिक मजबूत हुआ है क्योंकि कच्चे तेल की कीमतें 140 डॉलर से घटकर करीब 100 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई हैं। रुपया गुरुवार को 0.61 फीसदी मजबूत होकर 75.81 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। यह 4 मार्च को 76 का स्तर पार करने के बाद पहली बार 75 प्रति डॉलर से नीचे बंद हुआ है। कच्चे तेल की कीमतें नीचे आने और केंद्रीय बैंक के दखल को रुपये की बढ़त की वजह बताया जा रहा है। भारत के पास 630 अरब डॉलर से अधिक का विदेशी मुद्रा भंडार है, जिससे यह उभरते बाजारों की मुद्राओं में बेहतर स्थिति में है।
