वैश्विक बाजारों में कमजोरी के बीच भारतीय बाजार में नरमी आनी शुरू हो गई है, क्योंकि चीन के एवरग्रैंड गु्रप की कर्ज संबंधित चिंताओं, घटती जिंस कीमतों और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतिगत बैठक से जुड़ी आशंकाओं ने निवेशकों को चिंतित किया है।
सेंसेक्स 58,491 पर बंद हुआ, जो 19 जुलाई से 525 अंक या 0.9 प्रतिशत की गिरावट है। वहीं दूसरी तरफ, निफ्टी 188 अंक या 1.07 प्रतिशत गिरकर 17,397 पर बंद हुआ। उपभोक्ता वस्तु शेयरों में तेजी से बाजार को कुछ राहत मिली और भारतीय बाजार अपने वैश्विक प्रतिस्पर्धियों से बेहतर प्रदर्शन करने में सफल रहे।
यूरोपीय बाजारों में 2 प्रतिशत से ज्यादा की कमजोरी आई, जबकि अमेरिकी वायदा बाजार ने वॉल स्ट्रीट पर कमजोर शुरुआत का संकेत दिया। संपत्ति कंपनियों के शेयरों में बिकवाली के बीच हॉन्गकॉन्ग का हैंग सेंग 3.3 प्रतिशत नीचे आया, क्योंकि निवेशकों में एवरग्रैंडे के कर्ज संकट को लेकर आशंका गहरा गई है।
एवरग्रैंडे समूह के दो बॉन्डों पर ब्याज भुगतान गुरुवार को होगा। इसे इस संबंध में महत्वपूर्ण माना जा रहा है कि क्या कंपनी भविष्य में अपनी देनदारियां पूरी कर पाएगी। एवरग्रैंड समूह बैंकों और आपूर्तिकर्ताओं को भुगतान करने में विफल रहा है।
इस बीच, लौह अयस्क कीमतों में बड़ी गिरावट आई है। उत्पादन नियंत्रित करने के लिए चीन के प्रयासों से खनन और धातु शेयरों में बिकवाली को बढ़ावा मिला है।
जूलियस बेयर के कार्यकारी निदेशक मिलिंद मुछल ने कहा, ‘जहां बाजार समय-सीमा और मात्रा के संदर्भ में फेडरल की योजनाओं पर स्थिति स्पष्ट होने का गंभीरता से इंतजार कर रहे हैं,। इस सप्ताह की बैठक में रियायतों में नरमी के बारे में अग्रिम जानकारी मिल सकती है, जिसके बाद नवंबर में होने वाली बैठक में इसकी औपचारिक घोषणा की जा सकती है। रियायतें वापस लेने की रफ्तार धीमी रहने की संभावना है, और फेडरल द्वारा रुख में नरमी बनाए रखे जाने का अनुमान है, जो इक्विटी बाजारों के लिए अनुकूल हो सकता है।’
